आख़री पहले और पहले आख़री होंगे

आज हम अपनी सीरीज़ ‘लिपटना और समर्पण करना’ के आख़री दिन पर पहुँचे हैं। इस सफ़र में हमने तीन बातों को लिपटने की बात की - ख़ुदा की हुज़ूरी, ख़ुदा के उसूल और ख़ुदा के लोग। और साथ ही, तीन ऐसी चीज़ों को छोड़ने यानी समर्पित करने की चुनौती ली — अपना अतीत, अपनी पसंद, और आज की अंतिम कड़ी में — अपने पद या अधिकार का त्याग करना。
पद या अधिकार का स्थान होना अच्छी बात है। हमें ऐसे लोगों की ज़रूरत होती है जो सरकार, कलीसिया और समाज में अगुवाई करते हैं। बाइबल बताती है कि ख़ुदा लोगों को अगुवाई और अधिकार के स्थानों पर तैनात करता है—जैसे कि पुराने नियम में राजा शाऊल और राजा दाऊद को किया था (१ शमूएल ९ - १ शमूएल १६)।
जब कोई पदवी या अधिकार का स्थान हमारी असली पहचान का रूप ले लेता है, तब वह एक फिसलती हुई ज़मीन बन सकती है। क्योंकि फिर हम न सिर्फ़ उस पद को, बल्कि उससे जुड़ी ताक़त, शोहरत और सराहना को भी लिपट लेते हैं — और छोड़ना हमें नामुमकिन-सा लगने लगता है।
बाइबल हमें चेतावनी देती है: “आख़री पहले और पहले आख़री होंगे।” – मत्ती २०:१६ इसका मतलब है कि पदवी और प्राथमिकताएँ पल में पलट सकती हैं। इसलिए उन्हें कसकर न लिपटें रहें!हमारी मंज़िल, कोई पद या उपाधि नहीं होनी चाहिए। यीशु मसीह इस दुनिया में अपने पद या उपाधि को स्थापित करने नहीं आया था:
“यीशु मसीह इसलिये नहीं आया कि लोग उसकी सेवा करें मगर वह ख़ुद सेवा करने आया, और हमारे उद्धार के लिए क़ुर्बान होने।” – मरकुस १०:४५
अपनी पदवी को ख़ुदा को समर्पित कर दें - उस पर अपना मन न लगाए। किसी को अधिकार का स्थान या पदवी देना और लेना ख़ुदा की मर्ज़ी है।
“अग़वाह होना रुतबों या ओहदों का नाम नहीं, बल्कि एक ज़िंदगी का दूसरी ज़िंदगी पर असर छोड़ना है।” – जॉन मैक्सवेल
अगर आप किसी पदवी या ओहदें की लालच रखते हैं, तो उसे आज ही ख़ुदा के हवाले कर दें। अपनी तमन्नाओं पर मनन न करें, और पवित्र आत्मा से दुआ करें कि वह आपके छिपी हुई हर ग़लत चाहत को ज़ाहिर करें और दूसरों की सेवा करनें की आरज़ू से भर दे。
(*इस प्रोत्साहन के कुछ आयत मेरे अल्फ़ाज़ और अंदाज़ में लिखे गए हैं)

