सच्चा दोस्त हर हालात में मोहब्बत करता है

मेरी ज़िंदगी में एक ऐसा दौर भी आया जब मैं बेहद तकलीफ़ से गुज़र रहा था। उस वक़्त मुझे ये ठीक लगा कि मैं सबसे दूर हो जाऊँ और अकेला रहूँ। लेकिन मुझे इस बात का अंदाज़ा नहीं था कि यह तन्हाई मुझे अंदर से कितना कमज़ोर बना देगी। अकेलेपन में अपने ही ख़यालात और दर्द में डूब जाना बहुत आसान हो गया था — और धीरे-धीरे मैंने महसूस किया कि मैं खुद से ही हारने लगा हूँ।
हक़ीक़त ये है कि ख़ुदा ने हमें एक तन्हा द्वीप जैसे अकेले रहने के लिए नहीं बनाया है। हमे रिश्तों के लिए बनाया गया है - सबसे पहले ख़ुदा के साथ, फिर एक-दूसरे के साथ।
इसीलिए हमारी सूची की तीसरी अहम बात है: ख़ुदा के लोग।
हमें एक-दूसरे की ज़रूरत है!
*“आओ हम एक दूसरे को मोहब्बत और नेक कामों के लिए प्रोत्साहित करें - और जैसा कि कुछ लोगों की आदत बन गई है, हम मिलने-जुलने से पीछे न हटें, बल्कि एक-दूसरे का हौसला बढ़ाएं — यह और भी ज़्यादा करते रहें क्योंकि वह दिन क़रीब आ रहा है।" – इब्रानियों १०:२४–२५
अगर आपने अब तक किसी कलीसिया (चर्च) से जुड़ने का फ़ैसला नहीं लिया है, तो मैं आपको प्रोत्साहित करता हूँ कि ज़रूर ऐसा करें। परिपूर्ण चर्च ढूंढ़ने की कोशिश न करें— लेकिन ऐसी जगह तलाशिए जहाँ विश्वासी लोग ईमानदारी से सीख रहे हैं, बढ़ रहे हैं और एक-दूसरे का मोहब्बत से हौसला बढ़ा रहे हैं।
दिल टूटने से मत डरों; हाँ, कभी-कभी अच्छे इरादों वाले मसीही भी आपको ठेस पहुँचा सकते हैं, लेकिन इस डर से खुद को ख़ुदा के लोगों से अलग न करें।
ख़ुदा की संगति में रहनेवाले लोग यह केवल “अच्छी बात” नहीं है—यह हमारी लाइफ लाइन है। ख़ासकर मुश्किल वक़्त में, हमें अपने मसीही भाइयों और बहनों की मौजूदगी की बेहद ज़रूरत होती है।
*“सच्चा दोस्त हर हालात में मोहब्बत करता है और भाई मुश्किलों में साथ निभाता है।” – नीतिवचन १७:१७
ज़ैक की बीमारी और उसके मौत के इस दर्दनाक सफ़र में, जेनी और मैंने खुद महसूस किया कि जब आप ख़ुदा की तरफ़ वफ़ादार और सच्चे मसीहियों से घिरे होते हैं, तो कितनी ताक़त, तसल्ली और सहयोग मिलता है।
इसी क़ी वजह से हम, ‘चमत्कार हर दिन’ को भारत में लाने के लिए बहुत उत्साहित थे। ये सारे प्रोत्साहन के ई-मेल्स, जेनी और मैं लिखतें तो हैं , लेकिन इसके पीछे एक पूरा चमत्कार हर दिन का परिवार है जो आपके लिए दुआ कर रहा है और आपके ईमान के सफ़र पर आपके साथ चल रहा हैं।
अगर कभी आप अकेला महसूस करें या सिर्फ़ किसी से जुड़ना चाहें, तो बेझिझक हमारे ई-मेल का जवाब दें। हमें आपको सुनने और आपके लिए दुआ करने में बेहद खुशी होगी.
(*इस प्रोत्साहन के कुछ आयत मेरे अल्फ़ाज़ और अंदाज़ में लिखे गए हैं)

