बे रोक आज्ञापालन

मैं खुद को एक कामिल-पसंद शक़्स मानती हूँ। आम तौर पर यह एक अच्छी बात है, लेकिन कामिल-पसंद होने के अपने अंधेरे पहलू भी होते हैं। कई बार, मनचाहा नतीजा न मिलने के डर से मैं कुछ शुरू करने से पहले ही रुक जाती हूँ। या फिर मैं सोचती हूँ, "जब और लोग इसे मुझसे कहीं बेहतर कर सकते हैं, तो मैं क्यों करूँ?"
क्या इस व्यक्ति के साथ भी ऐसा होता है??
डर हमारी राह में रुकावट बन सकता है, ख़ासकर जब हम उसे अपनी सोच और फ़ैसलों को प्रभावित करने देते हैं तब। कामिल-पसंद होने की वजह से हम अकसर टालमटोल करने लगते हैं।
ख़ुदा, कामिल-पसंद नहीं लेकिन हाज़िर और आज्ञाकारी लोगों की चाहत रखता हैं। जब हम ऐसा करते हैं, तो वह हमें क़ामयाब होने की ताक़त देता है।
“क्योंकि यहोवा की आँखें सारी पृथ्वी पर इधर-उधर देखती रहती हैं, कि वह उनके लिए सामर्थी बने जिनका हृदय उसकी ओर पूरी तरह से लगा हुआ है।” – २ इतिहास १६:९
“यदि तुम इच्छुक हो, और आज्ञापालन के लिए तत्पर हो, तो तुम भूमि का सर्वोत्तम फल खाओगे।” – यशायाह १:१९
कामिल-पसंद होने की चाह के बजाय, हम सदा ख़ुदा की तलाश में रहें।
१ इतिहास १६:११-१२ कहता है:
“प्रभु को, उसके सामर्थ्य को खोजो, उसके मुख को निरन्तर खोजते रहो! उसके अद्भुत कार्यों को, जो उसने किए हैं, उसके चमत्कारों को, उसके मुंह से निकले न्याय-निर्णयों को स्मरण करो।”
गलती करने के डर के कारण इस व्यक्ति को निष्क्रिय नहीं होना चाहिए। मैं इस व्यक्ति को प्रोत्साहित करती हूँ कि वह ख़ुदा के क़रीब जाकर अपने डर को उसके हवाले कर दे और उस पर ईमान बनाए रखें।
मैं आज इस व्यक्ति के लिए दुआ करना चाहती हूँ:“ऐ आसमानी पिता, इस व्यक्ति को हिम्मत दें कि वह आपकी इच्छा के प्रति हाज़िर रहें और आज्ञाकारी बना रहें और अपने सारे डर को आपके हवाले कर दे। मैं दुआ करती हूँ कि कामिल-पसंद की चाहत अब उसके आगे बढ़ने में बाधा ना बने बल्कि कार्यवाही में आगे बढ़ने में मदद करे। यीशु मसीह के नाम में, आमीन।”

