तमाम तसल्ली देनेवाला ख़ुदा, हमे हमारे मुश्किल समय में तसल्ली देता है - २ कुरिन्थियों १:४
शारीरिक चुनौती के लिए, जैसे दौड़ में हिस्सा लेना या पहाड़ पर चढ़ना, तैयारी कैसे करनी चाहिए? 🧗🏽♂️शायद कसरत करनी होगी, सही खाना खाना होगा और पूरा आराम सुनिश्चित करना होगा, है ना?
ठीक उसी तरह जैसे शरीर को तैयार करते हैं, आत्मिक मुश्किलों के दौर के लिए भी आत्मा को तैयार और पोषित किया जा सकता है।
इसका सबसे बेहतरीन तरीका तन्हाई और ख़ामोशी में रहना है; जैसे यीशु मसीह ने किया था।
"जब यीशु ने यह सुना (उनके चचेरे भाई यहुन्ना बपतिस्मा देने वाले की हत्या कर दी गई) तो वह नाव पर चढ़कर वहाँ से किसी सुनसान जगह को, एकान्त में चला गया।" - (मत्ती १४:१३)
जैसे ही तन्हाई और ख़ामोशी का अभ्यास किया जाए, यह व्यक्ति महसूस करेगा कि उसका वर्तमान समय और इसके साथ आने वाली भावनाएँ, चाहे वे सकारात्मक हों या नकारात्मक, उसके ख़ुदा के साथ समय को और ज़्यादा प्रभावित करेगी।
यह सोचना स्वाभाविक है कि खुद को "सुधारना" या भावनाओं से निपटना आवश्यक है, ताकि बिना किसी रुकावट के, तन्हाई और ख़ामोशी का समय मुकम्मल हो।
लेकिन सच्चाई यह है की जिस हालत में यह व्यक्ति है, ख़ुदा उसे वहीं मिलना चाहता हैं। फिर चाहे वो ग़म हो या ख़ुशी हो, ख़ुदा की दिली-ख्वाइश है कि उसका और इस व्यक्ति का मिलन वही हो।
यीशु मसीह का उदाहरण लें: मुश्किल समय में, पहला कदम ख़ुदा को तन्हाई और ख़ामोशी में खोजने का होना चाहिए। ख़ुदा को आत्मा की देखभाल करने दें, जो केवल वही कर सकता हैं।
"हमारे प्रभु यीशु मसीह के परमेश्वर और पिता का धन्यवाद हो, जो दया का पिता और सब प्रकार की शान्ति का परमेश्वर है। वह हमारे सब क्लेशों में शान्ति देता है।" - (२ कुरिन्थियों १:३-४)
चलिए, इस अभ्यास को मिलकर पूरा करें!
- आराम से मगर जागरूक होकर बैठें। उदाहरण के तौर पर, खुले हाथों से सीधे बैठें, लेकिन लेटकर सोने का ख़तरा न लें।
- रुकावटों को दूर करें। फ़ोन और म्यूज़िक बंद कर दें।
- एक छोटासा लक्ष तय करें - १० या १५ मिनट का टाइमर सेट करें।
- ख़ुदा से एक आसान दुआ करें, जैसे "मैं यहाँ हूँ"। जब-जब ध्यान भटके, तो इस दुआ को दोहराएं और ख़ुदा में फिरसे मगन हो जाए।
- मत्ती ६:९-१३ की दुआ पढ़कर समाप्त करें, और चाहें जैसा भी अनुभव किया है, याद रखें, आपका वक्त ख़ुदा के साथ ज़ाया नहीं हुआ हैं।
