ख़ुदावंद के उद्धार के लिए ख़ामोशी से इंतज़ार करना अच्छा है - विलापगीत ३:२६

क्या कोई पिछले कुछ दिनों से तन्हाई और ख़ामोशी का अभ्यास कर रहा है? यह अनुभव कैसा रहा? क्या दिल में छिपे किसी नए डर या इच्छाओं को जाना गया है?
हो सकता है कि कोई इस पूरे ख्याल को लेकर संदेह कर रहा हो, या शायद यह करने में कुछ अजीब सा लग रहा हो और वह सोच रहा हो, "यह तो दूसरों के लिए काम कर सकता है, पर मेरे लिए नहीं।" कोई बात नहीं, क्योंकि यह सब लोगों के साथ होता है।
जब कोई किसी नई आध्यात्मिक अनुशासन में क़दम रखता है, खासकर तन्हाई और ख़ामोशी जैसे अभ्यास में, तब प्रतिरोध होना स्वाभाविक है। क्यों? क्योंकि वह एक आत्मिक लढ़ाई में प्रवेश कर रहा है। अब सारे अंधकार की ताक़त उस व्यक्ति को सुकून, यक़ीन और ख़ुदा को जानने से रोकने का प्रयास करेगी।
"तन्हाई और ख़ामोशी का सही अभ्यास, बेवजह व्यस्त रहना, जल्दबाजी, अलगाव और अकेलेपन की ज़जिरों को तोड़ता है। आपको यह समझ में आएगा कि दुनिया सिर्फ़ आपके कंधों पर नहीं टिकी है।" – डॅलस विलार्ड
शैतान हमेशा पूरी कोशिश करेगा कि वह किसी को ख़ुदा के क़रीब जाने और उन सभी अच्छी चीज़ों का अनुभव करने से रोके जो ख़ुदा ने उसके लिए तैयार की हैं।
"जो यहोवा की बाट जोहते और उसके पास जाते हैं, उनके लिये यहोवा भला है। यहोवा से उद्धार पाने की आशा रखकर चुपचाप रहना भला है। वह यह जानकर अकेला चुपचाप रहे, कि परमेश्वर ही ने उस पर यह बोझ डाला है।" – विलापगीत ३:२५-२६,२८
संदेह और प्रतिरोध अकसर तब उभरते हैं जब कोई तन्हाई और ख़ामोशी में प्रवेश करने वाला होता है। याद रखें: अगर यह अभ्यास शक्तिशाली न होता, तो शैतान इससे रोकने के लिए इतनी कोशिश नहीं करता। ख़ुदा की तरफआरज़ू, संदेह और प्रतिरोध से कई विशाल है।
आगे बढ़ते रहें! 💪🏼
चलिए, इस अभ्यास को मिलकर जारी रखें!
- आराम से मगर जागरूक होकर बैठें। उदाहरण के तौर पर, खुले हाथों से सीधे बैठें, लेकिन लेटकर सोने का ख़तरा न लें।
- रुकावटों को दूर करें। फ़ोन और म्यूज़िक बंद कर दें।
- एक छोटासा लक्ष तय करें - १० या १५ मिनट का टाइमर सेट करें।
- ख़ुदा से एक आसान दुआ करें, जैसे "मैं यहाँ हूँ"। जब - जब ध्यान भटके, तो इस दुआ को दोहराएं और ख़ुदा में फिरसे मगन हो जाएं।
- मत्ती ६:९-१३ https://www.bible.com/bible/1683/MAT.6.9-13 की दुआ पढ़कर समाप्त करें, और चाहें जैसा भी महसूस या अनुभव किया है, याद रखें कि वक्त ख़ुदा के साथ ज़ाया नहीं हुआ है।

