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Publication date 7 जुल. 2025

सुकून में रहों और यह जान लो की मैं ही ख़ुदा हूँ - भजन संहिता ४६:१०

Publication date 7 जुल. 2025

क्या "चमत्कार हर दिन" के अलावा ख़ुदा के साथ कोई रोज़ाना इबादत का वक़्त होता है? अगर जवाब हाँ है, तो वो वक़्त कैसा होता है? दुआ करना, बाइबल पढ़कर उसपर मनन करना, या इबादत करना?

मैं आपको एक खुबसूरत सफ़र पर आने का न्यौता देना चाहती हूँ: तन्हाई और ख़ामोशी का। ये कोई नया ट्रेंड नहीं है; बल्कि ये एक बाइबल से, आत्मिक ज़िम्मेदारी है जिस पर खुद यीशु मसीह ने अमल किया था:

"प्रभु येशु अक्सर भीड़ को छोड़, गुप्‍त रूप से, एकांत में जाकर प्रार्थना किया करते थे।" - लूका ५:१६

"भोर को दिन निकलने से बहुत पहले, वह उठकर निकला, और एक जंगली स्थान में गया और वहाँ प्रार्थना करने लगा।" - मरकुस १:३५

तन्हाई और ख़ामोशी का मतलब है खुद को भुलाकर, अकेले बैठकर ख़ुदा में मगन होना। मगर हक़ीक़त में ये उतना आसान नहीं होता हैं जितना लगता है। हमारा मन हर तरह के ख़यालात, कामों की सूचि, सवालों और यादों आदि से उलझ जाता है।

ये बिलकुल उस नाले के गंदे पानी की तरह है, अगर आप उसे काफी देर तक छोड़ दें, तो हौले हौले से उसमें से गंदगी नीचे बैठ जाती है और पानी साफ़ दिखने लगता हैं।

ठीक उसी तरह, जब हम ख़ुदा की मौजूदगी में काफी देर तक सुकून से बैठते हैं, तो हमारे ज़िंदगी के उलझन और तूफान में एक ठहराव सा आता हैं और हमें ख़ुदा के साथ गहरा सुकून, स्पष्टता और आराम महसूस होता है।

“शांत हो जाओ, और जान लो कि मैं ही परमेश्‍वर हूँ।” - भजन संहिता ४६:१०

चलो, तन्हाई और ख़ामोशी का अभ्यास मिलकर करते हैं!

  1. आराम से मगर जागरूक होकर बैठें। उदाहरण के तौर पर, खुले हाथों से सीधे बैठें, लेकिन लेटकर सोने का ख़तरा न लें।
  2. रुकावटों को दूर करें। फ़ोन और म्यूज़िक बंद कर दें।
  3. एक छोटासा लक्ष तय करें - १० या १५ मिनट का टाइमर सेट करें।
  4. ख़ुदा से एक आसान दुआ करें, जैसे "मैं यहाँ हूँ"। जब-जब ध्यान भटके, तो इस दुआ को दोहराएं और ख़ुदा में फिरसे मगन हो जाएं।
  5. मत्ती ६:९-१३ की दुआ पढ़कर समाप्त करें, और चाहें जैसा भी महसूस या अनुभव किया है, याद रखें आपका वक्त ख़ुदा के साथ ज़ाया नहीं हुआ हैं।

आप एक चमत्कार हैं।

Jenny Mendes
Author

Purpose-driven voice, creator and storyteller with a passion for discipleship and a deep love for Jesus and India.