ख़ुदा की वफ़ादार मोहब्बत सदा की हैं! – विलापगीत ३:२२

ऐसी कौनसी बात हैं जो आपके माता - पिता को गर्व महसूस कराती है?
बचपन में जब भी हम भाई-बहनों में से कोई स्कूल की परीक्षा में ९०% या उससे ज़्यादा अंक लाता, तो हमारे माता-पिता उस क़ामयाबी को पूरे गर्व से मनाते थे। हमारे अच्छे नंबरों की खुशी में, वो हमारे रिपोर्ट कार्ड या स्कूल का पेपर दीवार पर सजा देते — जैसे कोई ट्रॉफी हो।
रिपोर्ट कार्ड पर चाहे जैसे भी नंबर आएँ, मुझे यक़ीन था कि मेरे माता-पिता मुझे उससे कहीं ज़्यादा मोहब्बत करते हैं। फिर भी, दिल में हमेशा ये चाह रहती थी, कि मैं अपनी मेहनत से उन्हें गर्व महसूस करवा सकूँ।
बच्चों की फ़ितरत में होता है कि वे अपने माता - पिता को खुश करना चाहते हैं — लेकिन अपने बच्चों को क़ाबू में रखने और उन पर दबाव डालने के लिए, जाने अनजाने में, कुछ माता - पिता, इसी चाहत का ग़लत इस्तेमाल करते हैं - जैसे कि "अगर आपने ऐसा किया तो मम्मी बहुत उदास हो जाएँगी" या "बेटा, कुछ ऐसा कर जिससे मुझे तुझ पर गर्व होगा"। ऐसा रवैया बच्चों के दिल में ये ग़लत सोच बैठा देता है कि उनके माता-पिता की मोहब्बत महज़ तब हासिल होती है जब वे अच्छा बर्ताव करते हैं — और अगर वे कोई ग़लती कर बैठे, तो शायद वो मोहब्बत उनसे छिन लिया जाएगा।
मगर ख़ुदा की मोहब्बत ऐसी नहीं है।
*“ख़ुदा की मोहब्बत बेइंतिहा है — वो क़ायम रहने वाली। और उसकी रहमत कभी थमती नहीं, वो बेरोक बहती रहती है।” – विलापगीत ३:२२
इंसानी मोहब्बत — जो कि, अपनी सबसे बेहतरीन रूप में भी, सीमित है — लेकिन, ख़ुदा की मोहब्बत, सच में बेहद और बेशर्त है।
अगर आपके पिता सख़्त मिज़ाज थे और हर बात में शर्तें रखते थे, तो मुमकिन है कि आपको ख़ुदा की बेशर्त और बेहद मोहब्बत पर यक़ीन करना और उसे पूरी तरह क़ुबूल करना, आसान न हो।
दोस्त , जब ख़ुदा आपसे कहता है, "मैं, हर हाल में तुझसे मोहब्बत करता हूँ," तो आपका जवाब क्या होता हैं?
क्या आप उस बेशर्त मोहब्बत को अपना पाते हैं? या फिर दिल के किसी कोने में ये महसूस होता है कि आप उस मोहब्बत के क़ाबिल नहीं हैं — और अगर कुछ अच्छा कर लिया, तब शायद वो मोहब्बत हासिल होगी?
ये ज़माना, हमारे क़ामियाबी के वक़्त में ही, हमसे मोहब्बत करता हैं, मगर ख़ुदा की बेपनाह मोहब्बत, हमारी ज़िंदगी के बेहतरीन लम्हों में और सबसे अंधेरे समय में भी, क़ायम हैं।
*“जब हम अब भी गुनाहों में डूबे हुए थे, खुदा ने अपनी बेपनाह मोहब्बत का इज़हार करने, हमारे ख़ातिर, यीशु मसीह को क़ुर्बान किया ।” – रोमियों ५:८
दोस्त , अगर आपके सांसारिक पिता की सख़्ती और शर्तें रखने के रवैया ने आपके दिल में कोई गहरा ज़ख़्म छोड़ा है, तो जान लीजिए — आप अकेले नहीं हैं। इस सच्चाई को अपनाते हुए, अपने सांसारिक पिता को दिल से माफ़ करें, और बेझिझक अपने आसमानी पिता की मोहब्बत भरी बाँहों में खुद को हवाले कर दें। वहीं से आपको वो सुकून, अपनापन और भरोसा मिलेगा जिसकी आपको सबसे ज़्यादा ज़रूरत है।
(*इस प्रोत्साहन के कुछ आयत मेरे अल्फ़ाज़ और अंदाज़ में लिखे गए हैं)

