ख़ुदा एक मुक़म्मल मोहब्बत हैं, उसके अधिकार में भी

जब आप किसी कुत्ते के पास जाते हैं, तो उसके तौर-तरीक़े से साफ़ पता चलता है कि उसके साथ कैसा सलूक हुआ है। एक गली का कुत्ता, जिसे हमेशा मारकर भगाया गया है, या तो डर के मारे काँपता हुआ पीछे हटेगा या फिर ग़ुस्से में भौंकेगा और गुर्राएगा। वहीं दूसरी तरफ़, एक पालतू कुत्ता जिसे मोहब्बत और अपनापन मिला है, वो खुशी से पूंछ हिलाते हुए, चाटते हुए और उत्सुकता से जवाब देगा।
कई मायनों में हम इंसान भी, ऐसे ही होते हैं। हमारा पालन-पोषण — ख़ासकर हमारे सांसारिक पिता से हमारा रिश्ता — ये तय करता है कि हम ख़ुदा की मोहब्बत और उसके अधिकार का जवाब कैसे देते हैं।
हमारे माँ-बाप, ख़ासकर हमारे सांसारिक पिता को, ख़ुदा की तरफ़ से एक ज़िम्मेदारी और अधिकार मिला होता है कि वे हमारे साथ मोहब्बत और नरमी से व्यवहार करें और सही राह दिखाएँ।
"हे पिताओ, अपने बच्चों को क्रोध न दिलाओ बल्कि प्रभु के निर्देशों और अनुशासन में उनका पालन-पोषण करो।" – इफिसियों ६:४
लेकिन हक़ीक़त यह है कि बहुत से पिता इस अधिकार का ग़लत इस्तेमाल करते हैं — बच्चों को डराकर काबू में रखने के लिए, या उससे भी बदतर, जिस्मानी, मानसिक या यौन शोषण करके, ज़िल्लत देकर, मार-पीट कर या किसी और तकलीफ़ से उन्हें चोट पहुँचाकर। यह एक ज़ालिम पिता की निशानी है।
दोस्त , अगर आपका पालन-पोषण ऐसे पिता के साये में हुआ है, जिन्होंने अपने अधिकार का ग़लत इस्तेमाल करते हुए, आप पर ज़ोर-ज़बरदस्ती की, या हद से ज़्यादा ज़्यादती की है — तो ये मुमकिन है कि आप अपनी ज़िंदगी में ख़ुदा के अधिकार को अपनाना या उस पर ऐतबार करना मुश्किल समझें।
अपने आप से, इन सवालों को पूछे:
- क्या आपको डर लगता है कि, कोई छोटी सी ग़लती करने पर ख़ुदा आप पर क्रोधित होगा?
- क्या हर बार, जब ज़िंदगी में कुछ ग़लत होता है, तो लगता है कि ख़ुदा आपको सज़ा दे रहा है?
- क्या अकसर आप अपने गुनाहों को ख़ुदा से छुपाना चाहते हैं, सिर्फ़ इसलिए कि आप डरते हैं कि ख़ुदा निराश होगा?
- क्या आप डरते हैं कि, अगर आपने दिल खोलकर ख़ुदा को सब कुछ बताया, तो वह आपको चोट पहुँचाएगा?
अब यही सारे सवाल अपने सांसारिक पिता के बारे में सोचकर खुदसे पूछे। मुझे पूरा यक़ीन हैं कि दोनों जवाबों में कोई-न-कोई गहरा जोड़ ज़रूर हैं, हैं ना?
हम अकसर ये मान लेते हैं कि ख़ुदा भी, दूसरे अधिकार रखने वालों जैसा होगा — जो हमारे सबसे नाज़ुक लम्हों में हमें चोट पहुँचाएगा। मगर दोस्त , इस बात को आज दिल से सुने: ख़ुदा वैसा नहीं है! वो पूरी तरह एक मुक़म्मल मोहब्बत हैं, उसके अधिकार में भी। वो कभी अपने ताक़त और अधिकार का ग़लत इस्तेमाल नहीं करता हैं।
दोस्त , अगर आपके सांसारिक पिता के ज़ुल्म ने आपके दिल में कोई गहरा ज़ख़्म छोड़ा है, तो जान लीजिए — आप अकेले नहीं हैं। इस सच्चाई को अपनाते हुए, अपने सांसारिक पिता को दिल से माफ़ करें, और बेझिझक अपने आसमानी पिता की मोहब्बत भरी बाँहों में खुद को हवाले कर दें। वहीं से आपको वो सुकून, अपनापन और भरोसा मिलेगा जिसकी आपको सबसे ज़्यादा ज़रूरत है।

