हमारी बेवफ़ाई के बावजूद, ख़ुदा फिर भी वफ़ादार रहता है – २ तीमुथियुस २:१३

उम्मीद है कि आपका पिछला हफ़्ता सुकूनभरा और आरामदायक रहा होगा।
पिछले हफ़्ते, कॅमरॉन ने लिखा था कि कैसे हम ख़ुदा को, एक पिता के नज़रिये से देख सकते हैं, जो मोहब्बत से हमारे हाथों को थामे रखता है। इस हफ़्ते, जैसे-जैसे फ़ादर्स डे क़रीब आ रहा है, मैं इसी बात को और आगे ले जाना चाहती हूँ — और ज़ाहिर करना चाहती हूँ कि ख़ुदा को एक क़ामिल पिता के तौर पर जानने की, क्या अहमियत हैं।
हमारा, ख़ुदा को पिता के रूप में देखने का नज़रिया, अकसर हमारे सांसारिक पिता के रिश्ते से गहराई से जुड़ा होता है। दोस्त , अगर आपका सांसारिक पिता मोहब्बत करने वाला, ख़्याल रखने वाला और हमेशा आपके साथ मौजूद रहने वाला था — या है — तो आप वाक़ई ख़ुशक़िस्मत हैं। ऐसे में, ख़ुदा को भी उसी नज़रिये से देखना शायद स्वाभाविक और आसान होगा। लेकिन जिन लोगों के लिए उनका सांसारिक पिता ग़ैर-हाज़िर, सख़्त मिज़ाज, या जज़्बातों को समझने और अपनाने में पीछे रहा हो — उनके लिए ख़ुदा को एक भरोसेमंद, क़रीबी पिता के रूप में देखना, कहीं ज़्यादा मुश्किल हो सकता है।इस हफ़्ते, हम सांसारिक पिताओं के ऐसे सात कमज़ोरियों पर ग़ौर करेंगे और इसकी तुलना, ख़ुदा के सात ताक़तवर सच्चाई क़े साथ करेंगे। भले ही आपका बचपन शानदार रहा हो, फिर भी आप इन कमियों को अपने तरीकों से पहचान सकेंगे। आख़िरकार, कोई भी माँ-बाप क़ामिल नहीं होते। यह सीरीज़ का मक़सद, किसी सांसारिक पिता को निचा करने के लिए नहीं है — बल्कि हमारे लिए, हमारे आसमानी पिता की मुक़म्मल मोहब्बत को समझने के लिए हैं।
दोस्त , हो सकता है कि क़िसी वजह से, बचपन से ही आपके पिता ग़ैर-हाज़िर थे। हम यह सीरीज़ की शुरुआत एक: ग़ैर-हाज़िर पिता से करते हैं।
शायद आपके पिता से जुदाई की वजह मौत, तलाक़, या जज़्बाती तौर पर उनकी ग़ैर-मौजूदगी रही हो — वो जो हमेशा अपने दफ़्तर के काम और सफ़र में इतने मशगूल थे, कि आपके लिए वक़्त ही नहीं था। ऐसे हालातों में, ख़ुदा को एक वफ़ादार, क़रीबी और हर पल मौजूद पिता के रूप में जानना, वाक़ई एक चुनौती बन सकती है। कभी-कभी, यही तजुर्बे इंसान के दिल में ख़ुदा के लिए मायूसी या बेएतबारी का एहसास भी पैदा कर देते हैं।
मगर ख़ुदा, सबसे ज़्यादा वफ़ादार पिता है — यहाँ तक कि, जब हमें उसकी वफ़ादारी पर शक़ होता है, तब भी।
*"हमारी बेवफ़ाई के बावजूद, ख़ुदा फिर भी वफ़ादार रहता है — क्योंकि वह अपनी फ़ितरत में सच्चा है, और वह कभी खुद से इनकार नहीं कर सकता।" – २ तीमुथियुस २:१३।
दोस्त , अगर आपके सांसारिक पिता की ग़ैर-मौजूदगी ने आपके दिल में कोई गहरा ज़ख़्म छोड़ा है, तो जान लीजिए — आप अकेले नहीं हैं। इस सच्चाई को अपनाते हुए, अपने सांसारिक पिता को दिल से माफ़ करें और बेझिझक अपने आसमानी पिता की मोहब्बत भरी बाँहों में खुद को हवाले कर दें। वहीं से आपको वो सुकून, अपनापन और भरोसा मिलेगा जिसकी आपको सबसे ज़्यादा ज़रूरत है।(*इस प्रोहत्सान के कुछ आयात मेरे अल्फ़ाज़ और अंदाज़ में लिखे गए हैं)

