ख़ुदा का हाथ रचनात्मक है

जितना मैं इस हफ़्ते ख़ुदा के हाथ पर ग़ौर करता गया, उतना ही मैं आश्चर्यचकित और कुछ हद तक मगन होता गया। यही बात ख़ूबसूरत है - जितना हम उसे समझने की कोशिश करते हैं, उतना ही महसूस होता है कि वो हमारी समझ से कहीं बढ़कर है।
एक ख्याल जो मेरे ज़हन में आया वो यह है कि: "जिस ख़ुदा ने अपने क़ाबिल और महान हाथों से आसमान को फ़ैलाया, ज़मीन को सजाया और समंदर को सीमित किया, उसी हाथों ने मेरा हाथ भी थामा हैं!"
"निश्चय मेरे ही हाथ ने पृथ्वी की नींव डाली, और मेरे ही दाहिने हाथ ने आकाश फैलाया; जब मैं उनको बुलाता हूँ, वे एक साथ उपस्थित हो जाते हैं।" – यशायाह ४८:१३
"पृथ्वी के गहिरे स्थान उसी के हाथ में हैं; और पहाड़ों की चोटियां भी उसी की हैं। समुद्र उसका है, और उसी ने उसको बनाया, और स्थल भी उसी के हाथ का रचा है।" – भजन संहिता ९५:४-५
"किसने अँजली में भर कर समुद्र को नाप दिया किसने हाथ से आकाश को नाप दिया किसने कटोरे में भर कर धरती की सारी धूल को नाप दिया किसने नापने के धागे से पर्वतों और चोटियों को नाप दिया यह यहोवा ने किया था!" – यशायाह ४०:१२
ख़ुदा हमारी सोच से कहीं बढ़कर है, लेकिन अपनी महानता के बावजूद, वो बेहद व्यक्तिगत भी है और हमारे साथ क़रीबी रिश्ता निभाना चाहता है।
ख़ुदा ने अपने ही हाथों से दुनिया बनाई है। वो फ़रिश्तों से काम करवा सकता था, या अपने उँगलियों से बस एक इशारा कर सकता था, लेकिन बाइबल बताती है कि उसने ख़ुद ज़मीन की नीव रखी, उसने ही समुंदर और सरज़मीन को आकार दिया और दोस्त , वही ख़ुदा, आज भी आपका हाथ थामने के लिए बेक़रार है।

