ख़ुदा अपने हाथों से आपको आकार देता है

क्या आपने कभी मिट्टी के बर्तनों को बनाने की कोशिश की है? मैंने तो नहीं, लेकिन सुना है कि यह जितना आसान दिखता है, हक़ीक़त में उतना ही मुश्किल होता है। देखने में लगता है बस गीली मिट्टी को घूमते हुए चाक पर रखकर हाथों से आकार देना है — मगर असल में यह एक बेहद नाज़ुक और सलीके वाला काम है। इसमें दबाव, गति और पानी के बीच एक सही संतुलन बनाए रखना पड़ता है। ज़रा सी भी चूक हो जाए, तो पूरी बनावट बिख़र जाती है।
कुम्हार को पूरी तरह उस बर्तन पर ध्यान रखना पड़ता है जिसे वो बना रहा है। ज़रा-सी बेपरवाही, पूरी मेहनत बेक़ार कर सकती है।
अब ज़रा सोचों, कि ख़ुदा कुम्हार है और हम उसकी मिट्टी।
"तौभी, हे यहोवा, तू हमारा पिता है; देख, हम तो मिट्टी हैं, और तू हमारा कुम्हार है; हम सब के सब तेरे हाथ के काम हैं।" – यशायाह ६४:८
ख़ुदा का पूरा ध्यान हमें इस क़ाबिल बना रहा है कि हम उसकी मोहब्बत और मक़सद का मुक़म्मल ज़रिया बन सकें।
"यदि कोई अपने आप को इन से शुद्ध करेगा, तो वह आदर का बरतन, और पवित्र ठहरेगा; और स्वामी के काम आएगा, और हर भले काम के लिये तैयार होगा।" – २ तीमुथियुस २:२१
ख़ुदा आपके ज़िंदगी के हर पहलू में मौजूद है और वो आपको अपने हाथों से संवारता और आकार देता है। हमारी ख़ामियों को दूर करता है और मज़बूती से हमें थामे रखता है जब तक कि हम उस आकार में न आ जाएं, जो वो हमारे लिए चाहता है। जैसे एक कुम्हार चक्के पर घूमती मिट्टी को छोड़ नहीं सकता, वरना वो बिख़र जाएगी, उसी तरह ख़ुदा हमें कभी नहीं छोड़ता, चाहे हमारी ज़िंदगी कितनी ही गोल-गोल घूम रही है।
दोस्त , आइए इस बात के लिए ख़ुदा का शुक्र अदा करें कि वो हमें हर वक़्त आकार देता है:
ऐ आसमानी पिता, शुक्रिया कि तू कुम्हार है और मैं तेरी मिट्टी। मैं तेरे मज़बूत और मोहब्बत भरी हाथों में मेहफ़ूज़ हूँ। तू मुझे एक ख़ास मक़सद के लिए आकार दे रहा है। मुझे, तेरी मर्ज़ी के मुताबिक़, एक ईमानदार, आदर के योग्य और मोहब्बत-भरा पात्र बना। यीशु मसीह के नाम में, आमीन।

