ख़ुदा का हाथ आपको संभालता है

जब हमारा बेटा, ज़ैक, सिर्फ़ ७ महीने का था, तो उसे बस खड़ा होना था (तब वह बीमार नहीं था)। एक दिन, जेनी उसकी तस्वीरें ले रही थी और उसने मुझसे कहा कि मैं ज़ैक के हाथ पकड़ लूँ। ज़ैक ने पूरे जोश और गर्व के साथ खड़े होने की कोशिश की, हालाँकि वह खुद से खड़ा होने के लिए अभी बहुत छोटा था।[image]इस तस्वीर में, ज़ैक एक सितारा है। मैं फ्रेम से बाहर हूँ—सिर्फ़ मेरे हाथ दिख रहे हैं—लेकिन ज़ैक मेरे सहारे के बिना गिर जाता।
इस तस्वीर को देखकर, ख़ुदा ने मुझे याद दिलाया: "इसी तरह से मैं भी तुझे थामे रखता हूँ।"
कभी-कभी हमें ऐसा लगेगा कि ख़ुदा की मौजूदगी महसूस नहीं हो रही हैं और शायद हमारी ज़िंदगी की तस्वीर में वो कहीं नज़र नहीं आ रहा हैं। लेकिन हक़ीक़त यह है कि वह हर लम्हा हमारे साथ है — खामोशी में भी, सन्नाटों में भी — और हमें अपनी मोहब्बत और रहमत से थामे हुए है।
इससे, मुझे यशायाह ४१:१३ की याद आती है:
*"मैं तेरा ख़ुदा हूँ, जो तेरा दाहिना हाथ थाम कर तुझसे कहता हूँ, 'डर मत, मैं तेरे साथ हूँ और तेरी मदद करूंगा।”
इस हफ़्ते, चलिए हम यह समझने की कोशिश करते हैं कि, ख़ुदा हमारे हाथों को थाम कर हमें किस तरह अपनी रहनुमाई से सशक्त करता है।
ख़ुदा की अनगिनत खुबियाँ हैं जो हमारे समझ से परे हैं। वह सर्वशक्तिमान, सर्वव्यापी और सर्वज्ञानी हैं। वह वक़्त से सीमित नहीं हैं। यह हमे सोचने पर मजबूर कर देता है कि हम नश्वर इंसान, एक अनंत और अमर ख़ुदा से कैसे जुड़कर एक अटूट रिश्ता क़ायम कर सकते हैं?
लेकिन जब हम उसे एक पिता के तौर पर अपने बच्चे का हाथ थामता हुआ देखते हैं, तो ये अचानक से हक़ीक़त बन जाता है। ये एक मीठी, व्यक्तिगत और गहराई से भरी तस्वीर है जिसे हम अपनी ज़िंदगी से जोड़ सकते हैं।
दोस्त , क़ायनात का निर्माणकर्ता आपका हाथ थामना चाहता है!
*"डर मत, मायूस न हो और हिम्मत न हार, क्योंकि मैं तेरा ख़ुदा हूँ और सदा तेरे संग हूँ। मैं तुझे मज़बूत करूंगा और तेरी मदद भी करूंगा। मैं आपने सच्चे दाहिने हाथ से तुझे सम्भाले रहूँगा।" – यशायाह ४१:१०
आइए, मिलकर दुआ करतें हैं: "ऐ ख़ुदा मै अपना हाथ तेरे हवाले करता हूँ ; मैं तेरा बनना चाहता हूँ! यीशु मसीह के नाम में, आमीन।"
(*इस प्रोहत्सान के कुछ आयात मेरे अल्फ़ाज़ और अंदाज़ में लिखे गए हैं)

