वादा करनेवाले को, उसने वफ़ादार माना - इब्रानियों ११:११

पिछले २ दिनों में हमने सीखा कि ख़ुदा हमसे अपने वादों के ज़रिए हमारे संग बंधना चाहता है और वो हमेशा अपना वचन पूरा करता है।
आज, मैं इस पर ग़ौर करना चाहती हूँ कि, हम ख़ुदा के दिए हुए वादों को अपनी ज़िंदगी में कैसे हक़ीक़त बना सकते हैं।
पहले, एक अच्छी ख़बर से शुरुआत करते है: आप ख़ुदा के किसी भी वादों को अपने अच्छे कर्मों से कमा नहीं सकते हैं और न ही कोई "शर्तें" पूरी करने की ज़रूरत है। ख़ुदा किसी के साथ पक्षपात नहीं करता हैं (रोमियों २:११) और जो उसे सच्चे दिल से तलाश करते है, वह उन्हें कभी नहीं ठुकराता है (भजन संहिता ५१:१७ और इब्रानियों ११:६)।
हमें उसके वादों को कमाने की ज़रूरत नहीं है, लेकिन कुछ चाबियाँ हैं जो हमें उनमें क़दम रखने में मदद करती हैं - जैसे…
1. ईमानसारा की कहानी, ईमान की एक बेहतरीन मिसाल है, जो ख़ुदा के वादों की पूरी होने तक ले गई।
"विश्वास से सारा ने आप बूढ़ी होने पर भी गर्भ धारण करने की सामर्थ्य पाई, क्योंकि उसने प्रतिज्ञा करनेवाले को सच्चा जाना था।" – इब्रानियों ११:११
ईमान ख़ुदा को खुश करता है (इब्रानियों ११:६) और आपको उसके वादों पर हमेशा नज़र बनाए रखने में मदद करता है। ईमान आपको, सबसे मुश्किल हालात के दूसरी तरफ़, इनाम देखने की इजाज़त देता हैं।
2. सब्र की सहनशक्तिख़ुदा के वादें अकसर कोई वक़्त की हद नहीं रखतें हैं - उन्हें पूरा करने का सही समय वही तय करता है। हमें इस बात पर यक़ीन रखना हैं कि जो उसने कहा है, वो मुक़म्मल होगा। हमें बस सब्र और ईमान के साथ उसके इंतज़ार में रहना है।
"और इस रीति से उसने धीरज धरकर प्रतिज्ञा की हुई बात प्राप्त की।" – इब्रानियों ६:१५
दोस्त , क्या आप भी अपनी ज़िंदगी में ख़ुदा के वादों को पूरा होते हुए देखना चाहतें हैं? सब्र और ईमान रखें… उसके वादे ज़रूर मुक़म्मल होंगे!

