ख़ुदा हमे हमारी असली क़ाबिलियत से पहचानता है।

आप ख़ुद को कैसे दिखाना चाहते हैं?
अगर हम ख़ुशक़िस्मत हैं, तो लोग हमें हमारी सबसे बड़ी क़ामयाबी या बेहतरीन ख़ूबियों से पहचानते हैं।जहाँ भी जाऊ, मुझे अकसर इस तरह पेश किया जाता है:🎤 "एक मशहूर हिंदी वर्शिप लीडर"🎶 "वो शख़्स जिसने ‘हम गाएं होसान्ना’ गीत लिखा"❤️ "जेनी का पति"👶 "ज़ैक का पिता"
लेकिन अकसर, समाज हमें हमारी सबसे बड़ी मुश्किल, सबसे बड़ी नाक़ामी, या हमारे कमज़ोर पहलू से पहचानता है।आपने कुछ लोगों पर लगाए ऐसे धब्बे ज़रूर सुने होंगे:
- "वो नाटा लड़का।"
- "वो लड़की जिसे नौकरी से निकाल दिया गया है।"
- "वो शरारती बच्चा।"
मगर ख़ुदा एक अलग तरीका अपनाता है। वो हमारे गुज़रे हुए कल या मौजूदा हालात को नहीं देखता, बल्कि हमारी छुपी हुई बेहतरीन क़ाबिलियत की नज़र से हमें देखता है।
जब ख़ुदा ने गिदोन को बुलाया, तो पहली बात जो ख़ुदा ने कही, वो ये थी:
“वीर योद्धा, याहवेह तुम्हारे पक्ष में है!" – न्यायियों ६:१२
गिदोन की कहानी में, उस वक़्त, वो सच में कोई वीर योद्धा नहीं था। उसके दिल में शक़ और खौफ़ भरा हुआ था। वो अपने ही लोगों से इतना डरता था कि जब ख़ुदा ने उसे मूर्तियों को गिराने का हुक्म दिया, तो उसने यह काम दिन के उजाले में नहीं, बल्कि रात के अंधेरे में, छुपकर किया ताकि कोई उसे देख न सके। ये तो किसी बहादुर योद्धा की पहचान नहीं होती!
लेकिन जैसा वो असल में आगे बनने वाला था, ख़ुदा ने उसे वैसा ही देखा - एक वीर योद्धा!
दोस्त , यही हक़ीक़त आप पर भी लागू होती है! जब ख़ुदा आपको देखता है, तो वो आपके गुनाह, क़मज़ोरियाँ या नाक़ामियाँ को नहीं देखता, बल्कि आपको एक मुक़म्मल इंसान के रूप में देखता है! आप उसकी नज़रों में पाक़ और मुक़म्मल हैं!
"किन्तु अब जब मसीह अपनी भौतिक देह में था, तब मसीह की मृत्यु के द्वारा परमेश्वर ने तुम्हें स्वयं अपने आप से ले लिया, ताकि तुम्हें अपने सम्मुख पवित्र, निश्कलंक और निर्दोष बना कर प्रस्तुत किया जाये।" – कुलुस्सियों १:२२
दोस्त , आज मैं आपको चुनौती देता हूँ, कि ख़ुद को ख़ुदा के नज़रियें से देखें - मक़सद, क़ीमत और क़ाबिलियत से भरपूर!

