ईमान का मतलब, शक़ के बावजूद ख़ुदा पर यक़ीन रखना है।

आइए आज गिदोन और ख़ुदा के दरमियान एक ताक़तवर मुलाक़ात पर ग़ौर करतें हैं - एक ऐसी बात जो उन तीन सबसे अहम शक़ को बेनक़ाब करती है, जिन्हें गिदोन (और हमें) बेहक़ाने के लिए, दुश्मन (शैतान) कानों में फुसफुसाता है:
१ ख़ुदा पर शक़जब एक फ़रिश्ता गिदोन को मिलने आता है तब वो उस फ़रिश्ते से यह पूछता है:
"यदि यहोवा हमारे संग होता, तो हम पर यह सब विपत्ति क्यों पड़ती? और जितने आश्चर्यकर्मों का वर्णन हमारे पुरखा यह कहकर करते थे, ‘क्या यहोवा हम को मिस्र से छुड़ा नहीं लाया,’ वे कहाँ रहे?" – न्यायियों ६:१३
क्या यह सवाल आपको जाना-पहचाना सा लगता है? यही सवाल सदियों से हर पीढ़ी पूछ रही हैं कि "अगर ख़ुदा हक़ीक़त में है, तो फिर बुरी चीज़ें क्यों होती हैं?"
लेकिन दुश्मन को आपके ख़यालों और शक़ के उलझन में खींचने न दें। क्यों ख़ुदा कुछ दर्दनाक चीज़ों को हमारी ज़िंदगी में आने की इजाज़त देता है या क्यों उन्हें रोकता नहीं है? - ये सवाल हमारे समझ से परे है। (अय्यूब ४२:३)
ख़ुदा गिदोन के शक़ का जवाब कैसे देता है? "तू जा और इस बारे में ख़ुद कुछ कर!" – (न्यायियों ६:१४)। अकसर ख़ुदा हमें ही मुश्किलों का हल बनाकर भेजता है! वो चाहता है कि हम इस दुनिया में उसके हाथ और पाँव बनें। यक़ीनन, वो हमारी परेशानियों को पल भर में दूर कर सकता है, लेकिन अकसर वो हमें आगे बढ़ने, क़दम उठाने और ख़ुद समाधान बनने के लिए चुनता है। २. ख़ुद पर शक़अगर दुश्मन (शैतान) हमें ख़ुदा की भलाई पर शक़ करने से रोक नहीं पाता, तो वो हमें ख़ुद पर शक़ करने के लिए मजबूर करता हैं। जैसा कि हमने कल देखा, गिदोन ख़ुद को एक कमज़ोर और मामूली इंसानों में गिनता था। लेकिन ख़ुदा उसे याद दिलाता है कि ख़ुदा की मौजूदगी और हुज़ूरी में हम मुक़म्मल हो जाते हैं! (न्यायियों ६:१५-१६)
३. अपने बुलाहट पर शक़आख़री शक़ जो गिदोन ज़ाहिर करता है:
“यदि तेरा अनुग्रह मुझ पर हो, तो मुझे इसका कोई चिह्न दिखा कि तू ही मुझ से बातें कर रहा है।" न्यायियों ६:१७
दुश्मन का आख़री वार हमें हमारी मुक़म्मल क़ाबिलियत तक पहुँचने से रोकने के लिए होता है। वो हमें यक़ीन दिलाने की कोशिश करता है कि ख़ुदा ने हमे न ही चुना है और न ही बुलाया है। शैतान ऐसे निष्क्रिय मसीहीयों को पसंद करता है जो ख़ुदा की आवाज़ नहीं सुनतें और उसकी राह पर नहीं चलतें हैं।
दोस्त , शक़ में भी आप यक़ीनन गिदोन की तरह, ख़ुदा से कुछ निशानी माँग सकतें हैं!
इस कहानी से हमें क्या सबक़ मिलती है? कि ख़ुदा हमारे शक़ के समय में सब्र रखता है।
तमाम शक़ के बावजूद, गिदोन "ईमान के सितारों" की सूची में गिना गया है। (इब्रानियों ११)
मैं पहले भी कह चुका हूँ और फिर कहूँगा: ईमान का मतलब, शक़ की गैर-मौजूदगी नहीं, बल्कि उसके बावजूद ख़ुदा पर यक़ीन रखना है।

