एकता, एक मक़सद के लिए एक होना है, ना ही एक जैसे। – टोनी एवंस

क्या आपने कभी सोचा है कि मसीहियत के अंदर - जहाँ हर कोई एक ही ख़ुदा की इबादत करता है - इतना मतभेद क्यों है?
दुनिया में बेहिसाब संप्रदाय है और हर कोई ये मानता है कि उन्होंने ख़ुदा के क़लाम को सबसे बेहतर समझा है या उसकी इबादत का सही तरीक़ा पा लिया है। मगर सवाल ये उठता है: कि अगर हमारा ख़ुदा एक है, तो उसके बारे में सिर्फ़ एक ही सच्चाई क्यों नहीं हैं?
ये सवाल यक़ीनन मेरी सूचि में है, जिसे मैं ख़ुदा से स्वर्ग में जाने के बाद पूछूँगी। लेकिन तब तक, जो बात मैं जानती हूँ वो ये है कि हमारा दुश्मन (शैतान), मसीही लोगों में भेद करने से ही क़ामयाब होता है। वो जानता है कि अगर कलीसिया एकजुट हो कर शांति में रहेगी, तो ये एक बे-रोक ताक़त बन जाएगी।💪🏽
इस हफ़्ते, हम ख़ुदा के शालोम और मुक़म्मल शांति पर ग़ौर करतें हुए, कलीसिया में शांति की अहमियत को भी समझें।⛪️✌🏽
"वह शांति, जो तुम्हें आपस में बाँधती है, उससे उत्पन्न आत्मा की एकता को बनाये रखने के लिये हर प्रकार का यत्न करते रहो। देह एक है और पवित्र आत्मा भी एक ही है। ऐसे ही जब तुम्हें भी बुलाया गया तो एक ही आशा में भागीदार होने के लिये ही बुलाया गया। एक ही प्रभु है, एक ही विश्वास है और है एक ही बपतिस्मा। परमेश्वर एक ही है और वह सबका पिता है। वही सब का स्वामी है, हर किसी के द्वारा वही क्रियाशील है, और हर किसी में वही समाया है।" – इफ़िसियों ४:३-६
दोस्त , हम मसीही को, शांति और एकता के खोजी होना चाहिए।
"हे भाईयों, हमारे प्रभु यीशु मसीह के नाम में मेरी तुमसे प्रार्थना है कि तुम में कोई मतभेद न हो। तुम सब एक साथ जुटे रहो और तुम्हारा चिंतन और लक्ष्य एक ही हो।" – १ कुरिन्थियों १:१०
हाँ, लोगों के अलग-अलग नज़रियों की वजह से शायद एक होना मुश्क़िल लग सकता हैं। लेकिन याद रहे:
"एकता, एक मक़सद के लिए एक होना है, ना ही एक जैसे।” - टोनी इवांस
दोस्त , आइए आज हम ग्लोबल कलीसिया की एकता के लिए दुआ करें:
“ऐ आसमानी पिता, आज हम तेरी कलीसिया के लिए दुआ करते हैं; हमें तेरे राज्य के कार्य के लिए एकजुट कर। हमारे अलग अलग नज़रियों में तेरी रेहमत ज़ाहिर कर और ऐसी समझ और बुद्धि दे कि हम एक मक़सद के लिए एक हो जाये न ही एक समान बनने के लिए। यीशु मसीह के नाम में, आमीन!"

