सब के साथ मेल मिलाप रखें – रोमियों १२:१७-१८

क्या आप किसी ड्रामा क्वीन (या किंग) को जानते हैं? कुछ लोग हर जगह अपने साथ ड्रामा लेकर चलते हैं - झगड़े करना, दरारें पैदा करना और हर बात पर बुरा मान जाना। ऐसे लोगों के साथ रहने से बड़ी तक़लीफ़ हो सकती है। बाइबल हमें इसके विपरीत बनने के लिए प्रेरित करती है:
"बुराई के बदले किसी से बुराई न करो; जो बातें सब लोगों के निकट भली हैं, उनकी चिंता किया करो। जहाँ तक हो सके, तुम भरसक सब मनुष्यों के साथ मेल मिलाप रखो।" – रोमियों १२:१७-१८
‘शांति’ को बाइबल में पवित्र आत्मा के फलों में भी गिना गया है, जैसा कि ग़लतियों ५:२२-२३ कहता है:
"जबकि पवित्र आत्मा, प्रेम, प्रसन्नता, शांति, धीरज, दयालुता, नेकी, विश्वास, नम्रता और आत्म-संयम उपजाता है।"
पवित्र आत्मा के फल, दूसरों के साथ रिश्तों में (या उनकी कमी में) बहुत साफ़ नज़र आते हैं। जब हम अकेले रहते हैं, तो मोहब्बत, रहम-दिली और सब्र जैसे गुण अपनाना आसान लग सकता है। लेकिन जब हम किसी और के साथ रहते हैं, जैसे माता-पिता, भाई-बहन या जीवनसाथी, तब इन फलों को अपनी ज़िंदगी में दर्शाना मुश्किल हो जाता है! 😤
तो फिर शांति के फल को अपनी ज़िंदगी में कैसे उगाएं? शुरुवात इससे करें - बेवजह के झगड़ों से दूर रहें, बात-बात पर ग़ुस्सा न करें और एक शांत मन से सुननेवाले बनें:
"हे मेरे प्रिय भाइयो, यह बात तुम जानते हो: इसलिये हर एक मनुष्य सुनने के लिये तत्पर और बोलने में धीरा और क्रोध में धीमा हो।" – याक़ूब १:१९
फिर - दूसरों के साथ सुलह करें और ईमानदार रिश्ते विकसित करें:
"इसलिये यदि तू अपनी भेंट वेदी पर लाए, और वहाँ तू स्मरण करे, कि तेरे भाई के मन में तेरे लिये कुछ विरोध है, तो अपनी भेंट वहीं वेदी के सामने छोड़ दे, और जाकर पहले अपने भाई से मेल मिलाप कर और तब आकर अपनी भेंट चढ़ा।" – मत्ती ५:२३-२४
दोस्त , आपकी ज़िंदगी में “शांति” का फल कितना मीठा है? क्या कोई है जिससे आपको सुलह करनी चाहिए? इंतज़ार न करें - आज ही वो पहला क़दम बढ़ाएं और मेल मिलाप का माहौल बनाए!

