ख़ुदा, मेरे पनाह की चट्टान और मज़बूत गढ़ है - भजन संहिता ३१:२

क्या आपकी ज़िंदगी में ऐसी चीज़ें हैं जो आपको महफ़ूज़ महसूस कराती हैं? बहुत सी चीज़ें हमें महफ़ूज़ होने का एहसास दिला सकती हैं। मिसाल के तौर पर:
- परिवार
- नौकरी
- आर्थिक स्थिति
- दोस्त
- क़ाबिलियत और हुनर
- मसीही सेवकाई
ये सारी चीज़ें हमें सुक़ून और हिफ़ाज़त का एहसास दे सकती हैं, मगर यीशु मसीह एक चौंकाने वाली बात कहता हैं:
“यदि कोई मेरे पास आता है और अपने माता-पिता, पत्नी, संतान तथा भाई बहनों को, यहां तक कि स्वयं अपने जीवन को, मुझसे अधिक महत्व देता है, मेरा चेला नहीं हो सकता।" – लूका १४:२६
यीशु मसीह के ये अल्फ़ाज़ हमें शायद सख़्त लग सकते हैं, लेकिन असल में, यह उसकी बेइंतिहा मोहब्बत से जुड़ी है। इस आयात में यीशु मसीह, हमें दूसरों से नफ़रत करने के लिए नहीं कह रहा, बल्कि वो ये समझाता है कि जितना हम उसे मोहब्बत करते है, उसके मुक़ाबले में, ऐसा लगना चाहिए कि हम दूसरों से नफ़रत करते है।
हमारी ज़िंदगी में, यीशु मसीह को पहला स्थान मिलना ही चाहिए और हमारी हिफ़ाज़त सबसे पहले और सबसे ज़्यादा उसमें ही होनी चाहिए।
आख़िरकार, सब कुछ पलभर के लिए है और एक दिन गुज़र जाएगा, मगर यीशु मसीह हमेशा के लिए क़ायम रहेगा। वो अनंतकाल का ख़ुदा है। क्या आप उससे ज़्यादा कोई महफ़ूज़ पनाह या सुक़ून का मंज़र पा सकते हैं? हज़ारों साल पहले भजन संहिता में यह लिखा है:
"हे यहोवा, मेरी सुन, और तू शीघ्र आकर मुझको बचा ले। मेरी चट्टान बन जा, मेरा सुरक्षा बन। मेरा गढ़ बन जा, मेरी रक्षा कर! हे परमेश्वर, तू मेरी चट्टान है, सो अपने निज नाम हेतु मुझको राह दिखा और मेरी अगुवाई कर। मेरे लिए मेरे शत्रुओं ने जाल फैलाया है। उनके फँदे से तू मुझको बचा ले, क्योंकि तू मेरा सुरक्षास्थल है। हे परमेश्वर यहोवा, मैं तो तुझ पर भरोसा कर सकता हूँ। मैं मेरा जीवन तेरे हाथ में सौपता हूँ। मेरी रक्षा कर! जो मिथ्या देवों को पूजते रहते हैं, उन लोगों से मुझे घृणा है। मैं तो बस यहोवा में विश्वास रखता हूँ।" – भजन संहिता ३१:२-६
दोस्त , यीशु मसीह को अपनी पनाह की चट्टान और मज़बूत गढ़ बना लो, वही आपके दिल के सुक़ून का मंज़र है। वो आपको कभी तन्हा नहीं छोड़ेगा, उसकी वफ़ादारी ही आपकी सलामती की ज़मानत है।

