यह रहस्य, कि यीशु मसीह, वो महिमा की आशा, आपके भीतर है - कुलुस्सियों - १:२५-२७

क्या आपको पता है कि “क्रिस्टियन”(मसीह) लफ़्ज़ कहाँ से आया है?
यह ग्रीक लफ़्ज़ "क्रिस्टीआनोस" से निकला है, जिसका मतलब है "छोटे मसीह"। दिलचस्प बात यह है कि इसे शुरुआत में मसीहियों को बेइज़्ज़त करने के लिए इस्तेमाल किया गया था। लोग, चेलों का मज़ाक उड़ाते हुए कहते थे, "देखो! वहाँ छोटे मसीह है।"लेकिन जो कभी तिरस्कार का लफ़्ज़ था, वह अब एक गहरी हक़ीक़त और सम्मान का प्रतीक बन गया है – क्योंकि सच तो यही है कि मसीही होना, मसीह जैसा बनने का ही दूसरा नाम है। एक सच्चा चेला अपने गुरु, यीशु मसीह की छवि को प्रतिबिंबित करता है। यह न सिर्फ एक ऐतिहासिक सच्चाई है, बल्कि अपने ज़िंदगी से मसीह की मोहब्बत और रेहमत को ज़ाहिर करने की एक ख़ूबसूरत बुलाहट भी है।
"जो यह कहता है कि मैं उसमें बना रहता हूँ, उसे स्वयं भी वैसे ही चलना चाहिए जैसे वह चला।" – १ यूहन्ना २:६
यह लफ़्ज़ पहली बार अन्ताकिया में इस्तेमाल हुआ:
“जब वह उससे मिला तो उसे अन्ताकिया लाया; और ऐसा हुआ कि वे एक वर्ष तक कलीसिया के साथ मिलते और बहुत लोगों को उपदेश देते रहे; और चेले सबसे पहले अन्ताकिया ही में मसीही कहलाए।” – प्रेरितों के काम ११:२६
उस दौर के मसीहियों की ज़िंदगी में यीशु मसीह की छवि इतनी स्पष्ट रूप से झलकती थी कि लोगों ने उन्हें 'मसीही' कहकर पुकारा। यही नाम उनकी पहचान बन गयी। उन्होंने, जो यीशु मसीह से सीखा था, उसी पर अमल किया और उसी उद्देश्य को पूरा किया – और हमें भी वही करने के लिए बुलाया गया हैं:
*"ख़ुदा ने मुझे, उसके कलाम को तुम तक़ पूरी तरह से पहुँचाने की ज़िम्मेदारी दी है… और ख़ुदा ने यह चुना है कि अविश्वासियों को इस तेजस्वी धन से भरे रहस्य की मालूमात हो, कि यीशु मसीह, जो महिमा की आशा है, वो हमारे भीतर है।" – कुलुस्सियों १:२५,२७
जब यीशु मसीह हमारे भीतर होता है, तो हम अपने चारों तरफ़ महिमा की आशा से सबको रोशन करते हैं। यह कितनी अनोखी बात है, है ना?
जितना ज़्यादा हम उसे जानेंगे, उतना ही ज़्यादा हम उसके जैसे बनेंगे।
दोस्त , मेरी दुआ है कि आज आप यीशु मसीह के और क़रीब आने का चुनाव करें और उसे गहराई से जानें, ताक़ि आप उसके जैसे बन सकें और अपने चारों तरफ़ उसकी महिमा की उम्मीद से सबको रौशन कर सकें!
(*इस प्रोत्साहन के कुछ आयत मेरे अल्फ़ाज़ और अंदाज़ में लिखे गए हैं)

