जो कुछ तूने फ़रमाया है, उसे तू ही अपने हाथों से अंजाम देगा - २ इतिहास ६:१५

आज यिर्मयाह २९:११ के सीरीज़ का आख़री दिन है। अगर आप चाहो, तो मुझे अपने ख्यालात इस ई-मेल का जवाब देकर बता सकते है।
आइए, आख़री बार इसे मिलकर पढ़ते है:
*"ख़ुदा यह ऐलान करता है: 'तुम्हारे लिए बनाए गए हर मंसूबे को मैं जानता हूँ - ये मंसूबे तुम्हें नुक़सान पहुँचाने के लिए नहीं, बल्कि तुम्हे तरक्की, उम्मीद और एक रोशन भविष्य देने के लिए हैं।” – यिर्मयाह २९:११
मैं इस सीरीज़ को एक उम्मीद से भरी दुआ के साथ ख़त्म करना चाहती हूँ, जो कई आयतों पर आधारित है।
दोस्त , आइए मिलकर दुआ करें:
"ऐ ख़ुदा, तेरा शुक्रिया कि तुझमें, मेरा भविष्य उम्मीद से भरा है।मैं तेरे पास आती हूँ, क्योंकि मैं तेरे नेक इरादों पर यक़ीन करती हूँ (यिर्मयाह २९:११)
तू इंसान नहीं कि झूठ बोलेगा (गिनती २३:१९)
तू वो नहीं जो मुझे मायूस करेगा और मेरा दिल तोड़ेगा (इब्रानियों १३:५)
मेरी सारि आशाएं तुझमें ही है क्योंकि तू वफ़ादार ख़ुदा है।जो कुछ तूने फ़रमाया है, उसे तू ही अपने हाथों से अंजाम देगा। (२ इतिहास ६:१५)
तू ही मेरे दिल को जानता है, क्योंकि मैं तेरे पीछे चलने की ख़्वाहिश रखती हूँ। तू मुझे महफूज़ जगह तक़ ले जायेगा। (भजन संहिता २३)
जो भी हो, मैं आगे बढ़ती रहूँगी!तेरी हमदर्दी सदा की है ... तू वो उम्मीद है जो कभी ख़त्म नहीं होगा! (नूहा ३:२१-२७)
आज मैं एलान करती हूँ कि तू ही मेरी उम्मीद है।
यीशु मसीह के नाम में, आमीन।”
दोस्त , कैमरॉन और मैं दिल से ख़ुश हैं कि आप 'चमत्कार हर दिन' के इस ख़ूबसूरत परिवार का हिस्सा है। मुझे बेताबी से इंतज़ार है यह देखने का कि ख़ुदा आपकी ज़िंदगी में अपने बेहतरीन मंसूबे को कैसे ज़ाहिर करता है। इस सफ़र में, आपके साथ होना, मेरे लिए एक सम्मान की बात है और मैं दिल से आभारी हूँ कि मुझे आपके इस ईमान के सफ़र में साथ चलने का मौक़ा मिला है।"🤗
(*इस प्रोत्साहन के कुछ आयत मेरे अल्फ़ाज़ और अंदाज़ में लिखे गए हैं)

