ख़ुदा को ढूंढना मुश्किल नहीं है; वह बस एक दुआ की दूरी पर है

पाँच दिनों तक यिर्मयाह २९:११ से सीखने के बाद, आपका शायद यह सवाल हो सकता है – "मैं ख़ुदा के बनाए गए मंसूबे में, कैसे क़दम रखूँ?"
इसका जवाब, ख़ुदा यिर्मयाह २९:११ के बाद की आयतों में देता है:
"तब उस समय तुम मुझ को पुकारोगे और आकर मुझ से प्रार्थना करोगे और मैं तुम्हारी सुनूँगा। तुम मुझे ढूँढ़ोगे और पाओगे भी; क्योंकि तुम अपने सम्पूर्ण मन से मेरे पास आओगे। मैं तुम्हें मिलूँगा, यहोवा की यह वाणी है, और बँधुआई से लौटा ले आऊँगा; और तुम को उन सब जातियों और स्थानों में से जिनमें मैं ने तुम को जबरन निकाल दिया है, और तुम्हें इकट्ठा करके इस स्थान में लौटा ले आऊँगा जहाँ से मैं ने तुम्हें बन्दी करवाके निकाल दिया था, यहोवा की यही वाणी है।" – यिर्मयाह २९:१२-१४
मैंने पहले ही दिन स्पष्ट किया था कि यिर्मयाह २९:११ उन लोगों के लिए था जो निर्वासन में थे। ख़ुदा उन्हें आश्वस्त करता है कि अगर वे उसके बेहतरीन और सफल मंसूबों का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो पूरे दिल से उसकी तलाश करें, उसे पुकारें और सच्चे दिल से दुआ करें।।
दोस्त , यह आपके लिए भी लागु होता है। ख़ुदा भला है – वो कभी ज़बरदस्ती नहीं करेगा। ख़ुदा के, आपके लिए बनाए गए मंसूबे ख़ूबसूरत हैं, मगर आपको भी उसे तलाश करने के लिए राज़ी होना है।
ख़ुशख़बरी ये है कि ख़ुदा को ढूंढना मुश्किल नहीं है; वह बस एक दुआ की दूरी पर है।
"तुम मुझे ढूँढ़ोगे और पाओगे भी; क्योंकि तुम अपने सम्पूर्ण मन से मेरे पास आओगे।" – यिर्मयाह २९:१३
आओ, मिलकर ये दुआ करें:
"ऐ आसमानी पिता, आज मैं तेरे नाम को पुकारती हूँ और पूरे दिल से तुझे तलाश करती हूँ। मेरी ज़िंदगी को तेरे मुक़म्मल और उम्मीद से भरे मंसूबे से सफ़ल कर। शुक्रिया कि तू मेरे क़रीब है। यीशु मसीह के नाम में, आमीन।"

