ख़ुदा में ख़ुशी मनाओ और वह तुम्हारे दिल की मुरादें पूरी करेगा - भजन संहिता ३७:४

मेरी एक तमन्ना यह है कि मैं एक दिन, एक क़िताब लिखूँ। यह बहुत समय से मेरे दिल में है, लेकिन मैंने कभी समय निकालकर इसे पूरा करने की कोशिश नहीं की।
दोस्त , क्या आपके पास भी ऐसी कोई मुरादें, ख़्वाब, उम्मीदें या ख़्वाहिशें है?
इस हफ़्ते, हम ख़ुदा के बनाए उन मंसूबों पर ग़ौर कर रहे हैं, जो यिर्मयाह २९:११ में बयान किए गए हैं:
*"ख़ुदा यह ऐलान करता है: 'तुम्हारे लिए बनाए गए हर मंसूबे को मैं जानता हूँ - ये मंसूबे तुम्हें नुक़सान पहुँचाने के लिए नहीं, बल्कि तुम्हे तरक्की, उम्मीद और एक रोशन भविष्य देने के लिए हैं।”
लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह आयत सिर्फ़ ख़ुदा के मंसूबों तक सीमित नहीं, बल्कि आपकी अपनी मुरादों और ख़्वाहिशों के लिए भी एक ख़ूबसूरत वादा समेटे हुए है? यही वादा उस लफ़्ज़ ‘उम्मीद’ में छुपा हुआ है।
कभी-कभी, जब हम किसी आयत को बेहतर समझना चाहते हैं, तो हमें उसे अनेक अनुवादों में पढ़ना चाहिए। HVRV (Hindi Easy-to-Read Version) में यह आयत इस तरह से लिखी गई है:
"मैं यह इसलिये कहता हूँ क्योंकि मैं उन अपनी योजनाओं को जानता हूँ जो तुम्हारे लिये हैं।” यह सन्देश यहोवा का है। “तुम्हारे लिये मेरी अच्छी योजनाएं हैं। मैं तुम्हें चोट पहुँचाने की योजना नहीं बना रहा हूँ। मैं तुम्हें आशा और उज्जवल भविष्य देने की योजना बना रहा हूँ।" - यिर्मयाह २९:११
ख़ुदा जब आपकी ज़िंदगी के लिए मंसूबें बनाता है, तो वह आपके ख़्वाबों, तमन्नाओं और उम्मीदों को भी अपने जहन में रखता है। वह कोई ऐसा शासक नहीं जो हर बात पर हुक़ुम चलाना चाहता है - बल्कि, उसे यह बेहद पसंद है कि वह आपको वही चीज़ें दे जिसकी आप उम्मीद करते है, वह "आशा और उज्जवल भविष्य" जिससे आपका दिल ख़ुशी से झूम उठे।
*"ख़ुदावंद में ख़ुश रहो, और वह तुम्हारे दिल की तमन्नाओं को पूरा करेगा। अपने रास्ते को ख़ुदावंद के सुपुर्द कर दो; उस पर भरोसा रखो और वह इसे पूरा करेगा। वह तुम्हारी नेकी को सुबह की रौशनी की तरह चमकाएगा और तुम्हारी बेगुनाही को दोपहर की धूप की तरह उजागर करेगा।" भजन संहिता - ३७: ४-६
दोस्त अपनी उम्मीदों, ख़्वाबों और तमन्नाओं की सूची बनाए। क्या आप एक जीवनसाथी या अच्छी नौकरी या कोई मिनिस्ट्री करने की तलाश में हैं? ख़ुदा से इस बारे में बात करें! इस सूची को दुआ में उसके सामने रखें और अपने दिल की बातें उससे साझा करें।
(*इस प्रोत्साहन के कुछ आयत मेरे अल्फ़ाज़ और अंदाज़ में लिखे गए हैं)

