यीशु मसीह आपकी मायूसी और नाउम्मीद में आपसे मुलाक़ात करेगा

यीशु मसीह की ज़िंदगी और उसके व्यक्तित्व का अध्ययन करना मुझे हमेशा आश्चर्यचकित कर देता है। मुझे यह बात बेहद पसंद है कि हम वही कहानियाँ, जो हमने बचपन से सुनी हैं, दोबारा पढ़ सकते हैं और हर बार उनमें नए प्रकाशन हासिल कर सकते हैं।
जैसे कि इम्माऊस के रास्ते पर जाने वाले चेलों की यह कहानी (लूका २४:१३-३५)। यह उन कहानियों में से एक है जो हर बार मुझे नई समझ देती है।
सोचिए, उस हफ़्ते की घटनाओं के बाद, उन चेलों पर कितना गहरा सदमा और उलझन छाई होगी। वे नाउम्मीदी और अनिश्चित भविष्य से जूझ रहे थे। हम पढ़ते हैं कि वे उन तमाम घटनाओं पर चर्चा कर रहे थे, (आयत १४) और उनके चेहरे उदासी से घिरे हुए थे। (आयत १७)।
इस दर्द को मैं काफी हद तक़ समझ सकता हूँ। २०२० में हमारा बेटा ज़ैक गंभीर रूप से बीमार हुआ था लेकिन आज भी, जब हम उस अस्पताल के इमरजेंसी रूम के दर्दनाक पलों को याद करते हैं, तो जेनी और मैं बार-बार एक-दूसरे से यही सवाल पूछते हैं, 'आख़िर ये हुआ कैसे?’ टूटे हुए सपनों को जोड़ते हुए और इस नई नाउम्मीदी की हक़ीक़त को अपनाने की कोशिश करते हुए, हम अकसर इस उलझन में पड़ जाते थे - अब इसके आगे की ज़िंदगी कैसी होगी?
दर्दनाक हादसे हमें मायूस, ग़मगीन और भविष्य की अनिश्चितता में डाल सकते हैं।लेकिन जैसे यीशु मसीह ने उन दो चेलों से, जो नाउम्मीदों और मायूसी के बीच उलझे हुए थे, मुलाक़ात की और उन्हें उनके ग़म और उलझन में सांत्वना दी, वैसे ही वह हमें हमारी मुश्किलों, ग़मों और नाउम्मीदों के बीच में आकर मिलना चाहता है। वह हमारे हालातों से वाक़िफ़ है और हमें अपनी बेशुमार मोहब्बत से भरना चाहता है।
दोस्त , क्या आपके ज़िंदगी से कुछ छीन लिया गया है? शायद वो चीज़ जिससे आपकी पहचान जुड़ी थी, जो आपकी ज़िंदगी को मायने रखती और आकार देती थी?
अगर ऐसा है, तो मैं आपको, उन दो चेलों की तरह, यीशु मसीह को सब कुछ बताने के लिए, प्रोत्साहित करता हूँ। यीशु मसीह उनसे, सब कुछ जानते हुए, यह सवाल पूछता है “कौन सी बातें?” (आयत १८-१९)।
दोस्त , आज यीशु मसीह आपसे पूछ रहा है, "वो कौन-सी बातें हैं जो आपके दिल पर इतनी भारी हैं कि आपको आगे का रास्ता नज़र नहीं आ रहा है?" दुआ करते हुए, यीशु मसीह से वो सारी बातें ज़ाहिर करें!

