अपनी करुणा ही के अनुसार तू मुझे स्मरण कर - भजन संहिता २५:७

मैंने कुछ दिन पहले यह ज़ाहिर किया था कि, ख़ुदा ने मुझे २०२५ के लिए, भजन संहिता २५ पर मनन करने के लिए कहा था। आप सोच रहे होंगे, "आपने इसे साल की शुरुआत में ही क्यों नहीं ज़ाहिर किया?" आपका सवाल सही है और मेरे पास इसका कोई जवाब नहीं है - शायद, अगर किसी ने मुझे याद दिलाया होता, तो मैं पहले ही इसे आपसे साझा कर देता।
ख़ुदा को छोड़कर, हम सबको कभी-कभी याद दिलाने की ज़रूरत पड़ती है…है ना? 🤔आख़िरकार, क़ायनात के बनानेवाले को किसी इंसान से याद दिलाने की क्या ज़रूरत हैं? फिर भी, दाऊद ऐसा मानता था, जैसा कि आज की भजन संहिता २५ की इन आयतों में लिखा है:
"हे यहोवा, अपनी दया और करुणा के कामों को स्मरण कर; क्योंकि वे तो अनन्तकाल से होते आए हैं। हे यहोवा, अपनी भलाई के कारण मेरी जवानी के पापों और मेरे अपराधों को स्मरण न कर; अपनी करुणा ही के अनुसार तू मुझे स्मरण कर।" – भजन संहिता २५:६-७
दरअसल दाऊद ख़ुदा को वह बातें नहीं याद दिला रहा हैं जो ख़ुदा भूल गया हैं; बल्कि, वह ख़ुदा से रहमत की गुज़ारिश कर रहा हैं। दाऊद की तरह, आप शायद पछतावे का बोझ उठा रहे हैं - ऐसे ग़लत फ़ैसले जिन्हें आप बदल नहीं सकतें या ऐसे लम्हे जब आप सही रास्ते से भटक गए थे।
दाऊद, दुआ करता है कि ख़ुदा उसे उसकी ग़लतियों से नहीं, बल्कि ख़ुदा की भलाई और वफ़ादारी के नूर में देखे। उसने याद रखने की दरख़्वास्त की, न कि अपनी ख़ूबी की बुनियाद पर, बल्कि ख़ुदा की रहमत की बुनियाद पर।दाऊद की दुआ हमें यह उम्मीद देती है कि ख़ुदा हमें हमारे अतीत की ग़लतियों से परखता नहीं है, बल्कि, उसका नज़रिया हमारे लिए उसकी न बदलने वाली मोहब्बत पर क़ायम है। जब हम अपने टूटेपन में नम्र दिल के साथ उसके पास आते हैं, तो वो हमें माफ़ी, रहनुमाई और बेहिसाब फ़ज़ल से नवाज़ता है।
दोस्त , मैं आपको प्रोस्ताहित करता हूँ कि इस हफ़्ते हर दिन भजन संहिता २५ को अपने और अपने घरवालों के लिए पढ़ें। मैं आख़री आयत में अपने परिवार का नाम जोड़ कर इस दुआ को पढ़ता हूँ:
"हे परमेश्वर, मेंडीस परिवार को उनके सारे संकटों से छुड़ा ले। " अभी आप भी ऐसा कर सकते हैं और मैं आपके लिए यह दुआ करूँगा: "हे परमेश्वर, दोस्त , को उसके सारे संकटों से छुड़ा ले!"

