हे यहोवा, अपने मार्ग मुझ को दिखला; अपना पथ मुझे बता दे। - भजन संहिता २५:४

क्या आपने भजन संहिता २५ के बाक़ी आयत पढ़े हैं? क्या सिर्फ़ मुझे ही ऐसा लगता है, या आपको भी महसूस हो रहा है कि ये आध्याय, ख़ास २०२५ के लिए ही लिखा है? मैं आपके ख़यालात जानना पसंद करूँगा।
आइए, आज हम आयत ३-५ को गहराई से देखेंगे: "वरन् जितने तेरी बाट जोहते हैं उन में से कोई लज्जित न होगा; परन्तु जो अकारण विश्वासघाती हैं वे ही लज्जित होंगे। हे यहोवा, अपने मार्ग मुझ को दिखला; अपना पथ मुझे बता दे। मुझे अपने सत्य पर चला और शिक्षा दे, क्योंकि तू मेरा उद्धार करनेवाला परमेश्वर है; मैं दिन भर तेरी ही बाट जोहता रहता हूँ।"
क्या आप जानते हैं कि आयत ३ में जो ‘बाट जोहते’ लफ्ज़ है, वह सिर्फ़ वक़्त से ताल्लुक़ नहीं रखता है? यह इब्रानी शब्द ‘क़ाव़ा’ से आया है, जिसका मतलब है उलझ जाना (गूंथना)। यह हक़ीक़त को समझने के बाद, इस आयत का मतलब और भी गहरा हो जाता है:
"दरअसल, जो ख़ुदा के संग अपने आपको गूंथते और उलझाते हैं, वे कभी शर्मिंदा नहीं होंगे।"
ये कितना ख़ूबसूरत है। यही ‘क़ाव़ा’ लफ्ज़ का जिक्र बाइबल की कई और आयतों में भी किया गया है। और उनमें से मेरा सबसे पसंदीदा है यशायाह ४०:३१:
*"मगर जो ख़ुदावंद का इंतज़ार (क़ाव़ा) करते हैं, वो नई ताक़त हासिल करतें हैं।"
गूंथने और उलझने का ये सफ़र जल्दबाज़ी का नहीं, बल्कि एक लंबे इंतज़ार का सफ़र है। ज़रा पेड़ की जड़ों के बारे में सोचिए; जैसे-जैसे वो ज़मीन में गहराई तक जाती हैं, वे और ज़्यादा मजबूती से उलझ जाती हैं। अगर आप कोई पेड़ को उखाड़ भी दें, तब भी उसकी जड़ों को सुलझाना नामुमक़िन होगा।
उलझने की प्रक्रिया क़रीबी और अपनापन दर्शाती है, और यह इस आयत में झलकती है।
"हे यहोवा, अपने मार्ग मुझ को दिखला; अपना पथ मुझे बता दे।" – भजन संहिता २५:४
जितना हम ख़ुदा को हमे सीखाने की इजाज़त देतें हैं, उतना ही हम उसके संग गूंथ जाते हैं। इसके लिए एक नम्र दिल की ज़रूरत है जो सिखने, सही राह पर चलने और ख़ुदा की रहनुमाई पर यक़ीन रखने के लिए राज़ी हो। ग़ौर करें कि दाऊद अपने खुद के मंसूबे पर बरक़त माँगने के बजाय, ख़ुदा के तरीकों, ख़ुदा की सच्चाई और ख़ुदा की बुद्धि की ख़्वाहिश रखता है।
क्या आप ख़ुदा के साथ उलझने और उसकी राह पर चलने के लिए राज़ी हैं?
दोस्त , मैं आपको प्रोस्ताहित करता हूँ कि इस हफ़्ते हर दिन भजन संहिता २५ को अपने और अपने घरवालों के लिए पढ़ें। मैं आख़री आयत में अपने परिवार का नाम जोड़ कर इस दुआ को पढ़ता हूँ:
"हे परमेश्वर, मेंडीस परिवार को उनके सारे संकटों से छुड़ा ले। " अभी आप भी ऐसा कर सकते हैं और मैं आपके लिए यह दुआ करूँगा: "हे परमेश्वर, दोस्त , को उसके सारे संकटों से छुड़ा ले!"(*इस प्रोत्साहन के कुछ आयत मेरे अल्फ़ाज़ और अंदाज़ में लिखे गए हैं)

