जीना मसीह के लिए है और मरना लाभ है।

सबसे बेख़ौफ़ और ईमान से भरे हुए शख्स जिन्हें मैं जानता हूँ, वो हैं मेरे पिताजी, गॅरी मेंडीस। वो एक सख्त मुसलमान परिवार से आते हैं और उन्होंने अपने मज़हब के लिए बेख़ौफ़ और अटल रहना सीखा था। जब उन्होंने मसीहियत क़बूल की, तो वही शिद्दत और बेख़ौफ़ दिल से यीशु मसीह की इबादत करने लगे और सुसमाचार प्रचार करने से कभी भी पीछे नहीं हटे।
जब वे मुस्लिम थे, वो कहा करते थे, "मुझे मौत का ख़ौफ़ नहीं है; मैं अपना कफ़न हर जगह साथ लेकर चलता हूँ, मैं किसी से नहीं डरूंगा " – मतलब वो अपने ईमान के लिए मरने से भी नहीं डरते थे। जब वो मसीही पासबान बने, तो यही उसूल उन्होंने अपनी सेवा में लागू किया। जब भी वो सुसमाचार के सफर पर जाते थे, वो मेरी माँ से कहते थे, "अगर ज़िंदा रहा तो हम कुछ दिनों बाद यही मिलेंगे, नहीं तो आसमान के उस पार।"
उसी तरह, बाइबल में एस्तेर राणी भी अपने लोगों को बचाने के लिए अपनी जान दांव पर लगाने से भी नहीं डरी। उसने कहा, "तब मैं इसी स्थिति में राजा के पास भीतर जाऊंगी, जो नियम के विरुद्ध है तब यदि मेरा नाश होता है, तो हो जाए।" – एस्तेर ४:१६
इन कहानियों में जो बात बेमिसाल है, वो यह कि एस्तेर राणी और मेरे पिताजी ने अपना ईमान ख़ुदा पर रखा और अपनी ज़िंदगी से ज़्यादा (ख़ुदा से पाई हुई) बुलाहट की क़द्र की। जैसे पौलुस ने लिखा है:
"पर जैसे मेरे प्रबल साहस के कारण मसीह की बड़ाई मेरी देह के द्वारा सदा होती रही है, वैसी ही अब भी हो, चाहे मैं जीवित रहूँ या मर जाऊँ। क्योंकि मेरे लिये जीवित रहना मसीह है, और मर जाना लाभ है। क्योंकि मैं दोनों के बीच अधर में लटका हूँ; जी तो चाहता है कि कूच करके मसीह के पास जा रहूँ, क्योंकि यह बहुत ही अच्छा है, परन्तु शरीर में रहना तुम्हारे कारण और भी आवश्यक है।" – फिलिप्पियों १:२०-२१, २३-२४
दोस्त , अगर आप ख़ुदा के लिए बेख़ौफ़ बनना चाहते हैं, तो मेरे साथ यह दुआ करें:
"ऐ आसमानी पिता, एस्तेर और पौलुस की तरह, तेरे मक्सद को मुक़म्मल करने के लिए मुझे इस्तेमाल कर। मुझे तेरा राज्य बढ़ाने और सुसमाचार बांटने के लिए बेख़ौफ़ बना। मेरी ज़िंदगी सिर्फ़ तेरी है और इसे एक बलिदान के रूप में आपके हवाले करता हूँ। आमीन।"

