मन फिराने में और सुकून में आपका उद्धार हैं, ख़ामोशी और यक़ीन में आपकी ताक़त हैं

जब हमारा बेटा ज़ैक बीमार हुआ था, तब मैंने यह जाना कि जो तरीके मैंने ख़ुदा से जुड़ने के लिए हमेशा से अपनाए थे, जैसे दुआ करना, इबादत करना आदि. उन तरीकों में कुछ कमी सी महसूस होती थी। सारे नुकसानों के दर्द ने मुझे एक ऐसे मोड़ पर छोड़ दिया जहाँ मैं एक तरफ़ तो ख़ुदा के सुकून के लिए बेताब थी और दूसरी तरफ निराश, क्योंकि मुझे पूरा यकीन था कि सिर्फ ख़ुदा ही ज़ैक को चंगाई दे सकता था लेकिन, उसने अब तक ऐसा नहीं किया।
इस टूटे हुए स्थिति में, मै तन्हाई और ख़ामोशी के विषय पर सीखने लगी। अक्सर मेरा ख़ुदा के साथ वक्त गुज़ारने का समय, अल्फ़ाज़ों से भरा हुआ होता था - साथ ही साथ वचन पढ़ना, कुछ लिखना, इबादत और दुआ करना - लेकिन मसला ये था कि, अब अल्फ़ाज़ भी कम पड़ रहे थे। मेरा दर्द मुझे एक ऐसे मुकाम पर ले जा रहा था जहां अल्फ़ाज़ नहीं पहुंच सकते थे और इसके दरमियान, ख़ुदा मुझे ख़ामोशी के ज़रिये, उसके साथ हाले दिल से संवाद करने के लिए न्योता दे रहा था।
"इस्राएल का पवित्र परमेश्वर, प्रभु, स्वामी यों कहता है: “लौट आने और शान्त रहने से ही तुम्हारी रक्षा होगी, चुप रहने और भरोसा करने में ही तुम्हारी शक्ति है।” – यशायाह ३०:१५
दोस्त , आप दिल में कैसा महसूस कर रहे है? आप किन अधूरी इच्छाओं या निराशा के क्षेत्रों का सामना कर रहे हैं? निराशा कोई बुरी बात नहीं है; यह एक गहरे खोज की शुरुआत है, जो आपको उसी की ओर खींचती है जो आपके दिल के अंदर की खाली जगह को वास्तव में भर सकता है।"
"मेरा प्राण शान्ति से परमेश्वर की प्रतीक्षा करता है, क्योंकि मेरी आशा उसी से है। हर समय परमेश्वर पर ही भरोसा करो। उसके सम्मुख अपना हृदय उण्डेल दो, परमेश्वर ही हमारे लिए शरण-स्थल है।" – भजन संहिता ६२:५,८
चलो फिरसे, उस अभ्यास को जारी रखते हैं जो हमने कल शुरू किया था!
१. आराम से मगर जागरूक होकर बैठें। उदाहरण के तौर पर, खुले हाथों से सीधे बैठें, लेकिन लेटकर सोने का ख़तरा न लें। २. रुकावटों को दूर करें। फ़ोन और म्यूज़िक बंद कर दें। ३. एक छोटासा लक्ष तय करें - १० या १५ मिनट का टाइमर सेट करें। ४. ख़ुदा से एक आसान दुआ करें, जैसे "मैं यहाँ हूँ"। जब-जब आपका ध्यान भटके, तो इस दुआ को दोहराएं और ख़ुदा में फिरसे मगन हो जाए। ५. मत्ती ६:९-१३ की दुआ पढ़कर समाप्त करें, और चाहें जैसा भी आपने महसूस या अनुभव किया है, याद रखें आपका वक्त ख़ुदा के साथ ज़ाया नही हुआ हैं।

