मेहनती के अरमान पूरी तरह से मुक़म्मल होते हैं

रूत की कहानी से एक बात जो मुझे सबसे ज़्यादा प्रभावित करती है, की वह इतनी ज़्यादा आम और जज़्बाती है। यह दो विधवा महिलाओं की कहानी है जो बहुत मेहनती थी और, जिन्होंने ज़िंदगी की मुश्किलों से लड़ने के लिए अपने सामर्थ्य में जो सबसे अच्छा था, वही किया।
जब आप रूत की क़िताब पढ़ेगे, तो आप पाएंगे कि इसमें ख़ुदा की आवाज़ आसमान से गूँजती हुई नहीं आती है और न ही कोई धरती हिला देने वाला चमत्कार होता है। रूत न ही अमीर थी और न ही उसका कोई अहम पद था। वह एक आम लड़की थी, जो पहले पत्नी और बहू बनी, फिर विधवा, और फिरसे पत्नी और अंत में, एक माँ बनी।
रूत के दिन, फ़सल के समय, खेत में से बचे हुए दाने इकट्ठा करने में गुज़रते थे (रूत २:२-३,२३) और यह सुनने में थोड़ा बोरिंग लग सकता है 🥱 लेकिन उसकी ज़िंदगी, उम्मीद के चट्टान पर खड़े होते हुए, ख़ुदा की रहनुमाई में गुज़री।
कई बार, जब हमारी ज़िंदगी साधारण, सांसारिक या बोरिंग लगती है, तब हम मायूस हो जाते हैं।
मेरी पत्नी, जेनी, ने भी यह संघर्ष किया, जब वो माँ बनीं। वह येशुआ मिनिस्ट्रीज़ के टूर पर मेरे साथ नहीं जा सकती थीं और ख़ासकर जब हमारे बेटे की तबियत ख़राब हुई थी, तो उसके दिन बस डायपर बदलने और उसे संभालने में बीतने लगे और आज भी ऐसा ही है।
हम सभी महानता, रोमांच या उत्तेजना की ख्वाहिश रखते हैं, फिर भी आम चीजों में अद्भुत सामर्थ्य है। ख़ुदा हमें तब इनाम देता हैं जब हम अपनी ज़िंदगी के साधारण हिस्सों में मेहनत करते हैं, और उस मेहनत में ख़ुश रहते हैं। नीतिवचन में लिखा है, "परिश्रम से सदा लाभ होता है" और "कठोर परिश्रम करनेवाले की सब अभिलाषाएं पूर्ण होती हैं।" (नीतिवचन १४:२३ और नीतिवचन १३:४)
रूत के मामले में, उसकी कड़ी मेहनत और परिश्रम ने उसके ज़िंदगी को इतना अहम बना दिया कि उसकी कहानी बाइबल में शामिल है और उसका नाम यीशु मसीह के वंश में पहचाना गया है।
दोस्त , आज अपने दिन के साधारण कार्यों के दौरान यह याद रखें, कि ख़ुदा आपके साथ हैं और उसका शुक्रिया करें कि वह आपके ज़रिए किए गए हर क़ाम को, चाहे वह कितना भी मामूली क्यों न हो, अपनी महिमा के लिए इस्तेमाल करेगा।

