जो मुझे बुलाता है वह वफ़ादार है और वह ऐसा ही करेगा

लगभग १० साल पहले, मैंने महसूस किया कि ख़ुदा मुझे फुल टाइम मिनिस्ट्री में बुला रहा हैं। उस वक्त, मैं १५ साल से अधिक समय से एक गीतकार और वर्शिप लीडर था और मिनिस्ट्री के साथ अपने हर दिन की नौकरी भी संभालता था।
हालाँकि फुल टाइम मिनिस्ट्री करना मेरे ज़िंदगी भर का सपना था, लेकिन मेरे दिल में कुछ संदेह भी थे। जेनी और मैं शादी करना चाहते थे और मुझे डर था कि महीने की तनखा के बिना यह मुश्किल होगा।
लेकिन मैंने महसूस किया कि ख़ुदा मेरे दिल के तार को खींच रहा था, इसलिए मैंने एक ईमान की छलांग लगाने का फ़ैसला किया और भरोंसा किया कि *"जो मुझे बुलाता है वह वफ़ादार है और वह ऐसा ही करेगा।" – १ थिस्सलुनीकियों ५:२४
ईमान और डर एक साथ होते हैं तब ख़ुदा हमसे कुछ ऐसा करने के लिए कहता हैं जो हमारे आराम क्षेत्र के बाहर है।
"पूरी सीढ़ी भले ही नज़र में न आए, फ़िर भी पहला क़दम उठाना यही ईमान का सही मतलब हैं।" – मार्टिन लूथर किंग जूनियर।
जब ख़ुदा ने मूसा को इस्राएलियों को मिस्र से बाहर लाने के लिए बुलाया (निर्गमन 3), तो मूसा का जवाब मेरी तरह ही था। उसने अपने सभी डर गिनने शुरू कर दिए: "मैं उनसे क्या कहूँगा?" "अगर वे मुझ पर यक़ीन नहीं करेंगे?" "मैं तो हकलाता हूँ।" आखिर में मूसा ने ईमान रखने का फ़ैसला लिया और इतिहास बदल दिया।
डर कहता है “अगर ऐसा हो गया तो -” ईमान कहता है “अगर ऐसा हुआ तब भी।”
ईमान का एक शक्तिशाली उदाहरण “अगर ऐसा हुआ तब भी”, यह शद्रक, मेशक और अबेदनगो, इन तीनों के ज़िंदगी में पाया जाता है। वे एक मूर्ति के सामने झुकने से इनकार करने के कारण आग के भट्टी में फेंके जाने वाले थे (दानिय्येल 3)। उन्होंने कहा, "हम जानते हैं कि जिस ख़ुदा की हम इबादत करते हैं, वह हमें बचाने में क़ाबिल है, लेकिन “अगर ऐसा न भी हुआ तब भी”, हम किसी अन्य देवताओं की इबादत नहीं करेंगे।"
दोस्त क्या ख़ुदा आज आपको अपने आराम क्षेत्र से बाहर क़दम रखने के लिए बुला रहा हैं?
(*इस प्रोत्साहन के कुछ आयत मेरे अल्फ़ाज़ और अंदाज़ में लिखे गए हैं)

