ख़ुदा का सुक़ून आपके दिलों में राज करें

क्या आप कभी ऐसे कुर्सी पर बैठे है जिसकी एक टांग टूट गई हैं? 😖 ऐसा मेरे साथ हुआ था जब मैंने कॅमरॉन के परिवार से पहली बार मुलाक़ात की थी। शुक्र है, मैं फर्श पर नहीं गिरी, लेकिन मैं बहुत शर्मिंदा हुई क्योंकि ज़ोर की आवाज़ आयी और मुझे नई कुर्सी दी गई।🫣
अपनी ज़िंदगी के लिए ख़ुदा की मर्ज़ी समझना ऐसा ही हैं, जैसे चार टांगों वाली मज़बूत और स्थिर कुर्सी बनाना। एक ऐसी कुर्सी जो मज़बूती और भरोसे का आधार बनेगी, जिस पर बैठने का फ़ैसला भविष्य में आपको शर्मिंदगी और पछतावे से बचाएगा।
यह चार टांगे इन चार अहम सवालों के बुनियाद पर टिकी हैं:
१. क्या यह बाइबल के अनुसार है?
अगर आपका जवाब ‘नहीं’ है, तो वहीं रुक जाएं।
कई बार ख़ुदा की रहनुमाई बिल्कुल स्पष्ट नहीं होती हैं। ऐसे समय में बाइबल से एक ख़ास आयत या प्रकाशन स्पष्टता और पुष्टि प्रदान कर सकती है।जब कॅमरॉन और मैं अमेरिका जाने के बारे में सोच रहे थे तब हमें कई चिंताएँ सता रही थी। लेकिन किसी ने हमे इस आयत से प्रोत्साहित कीया, जिससे हमें काफ़ी सुक़ून और स्पष्टता मिली:
“यहोवा मेरे लिये सब कुछ पूरा करेगा; हे यहोवा, तेरी करुणा सदा की है। तू अपने हाथों के कार्यों को त्याग न दे।” – भजन संहिता १३८:८
२. ख़ुदा मुझसे क्या कह रहा हैं?आप जो भी फ़ैसले ले रहे हैं, उसे ख़ुदा की हुज़ूरी में “बैठकर” सुनें। अपने दिल में उसकी आवाज़ सुनें। यह करने का एक उत्तम तरीका है तन्हाई और ख़ामोशी का अभ्यास। हमारे इस विषय पर पढ़ने की योजना को यहाँ देखें।“यहोवा उनके लिये उत्तम है जो उसकी बाट जोहते हैं। यहोवा उनके लिये उत्तम है जो उसकी खोज में रहा करते हैं।” – विलापगीत ३:२५
३. ख़ुदा दूसरों के ज़रिए क्या कह रहा हैं?दो दिन पहले हमने समझदारी की सलाह लेने पर बात की थी। ख़ुदा अकसर दूसरों के ज़रिए बात करता हैं और उनसे आपको यह भी मदद मिल सकती हैं कि बाइबल आपके हालात के बारें में क्या कह रही हैं (पहला पॉइंट)। “सलाह को मानो, शिक्षा को ग्रहण करो; जिससे तुम आगे के लिए बुद्धिमान बन सको।” – नीतिवचन १९:२०
४. क्या इससे सुकून मिलता है?
हमारा ख़ुदा चिंता का नहीं, सुक़ून का ख़ुदा हैं। यदि कोई फ़ैसला आपको तनाव और चिंता दे रहा है, तो यह चिन्ह हो सकता है कि शायद वह ख़ुदा की ओर से नहीं है।
“तुम्हारे मन पर मसीह से प्राप्त होने वाली शांति का शासन हो।” – कुलुस्सियों ३:१५
एक बार मुझे एक अगुवे पद का प्रस्ताव मिला था। दुआ और समझदारी की सलाह और शुरुआत में स्वीकार करने के बावजूद, मुझे काफ़ी तनाव महसूस हुआ कि मैंने यह पहचान लिया कि यह ख़ुदा की ओर से नहीं है। मैंने मेरा फ़ैसला वापस ले लिया।
दोस्त , जैसे हम इस सीरीज "फ़र्क़ करना सीखें " समाप्त कर रहे हैं, मैं फिलिप्पियों १:९-११ में से पौलुस की इस दुआ को आपके लिए करना चाहती हूँ:
“मैं यह प्रार्थना करता हूँ कि तुम्हारा प्रेम ज्ञान और सब प्रकार के विवेक सहित और भी बढ़ता जाए, यहाँ तक कि तुम उत्तम से उत्तम बातों को प्रिय जानो, और मसीह के दिन तक सच्चे बने रहो, और ठोकर न खाओ; और उस धार्मिकता के फल से जो यीशु मसीह के द्वारा होते हैं, भरपूर होते जाओ जिससे परमेश्वर की महिमा और स्तुति होती रहे।”

