मंच अच्छे औज़ार हो सकते हैं लेकिन भरोसेमंद और क़ायम बुनियाद नहीं

एक कलाकार के तौर पर, मैंने कई मंचों पर प्रदर्शन किया है - कुछ कमज़ोर और कुछ मजबूत मंच। कई गाँवों में अस्थायी मंच अकसर ऐसे लगते हैं जैसे किसी भी पल टूट सकते हैं। मंच के टूटने और मेरे गिर जाने का वीडियो वायरल होने के डर से मैं ऐसे मंचों पर नाचता या कूदता नहीं हूँ ।🤪 यूट्यूब ऐसे कई वीडियोज़ से भरा पड़ा हैं!
यही बात मंचों के बारे में भी है - वे उपयोगी औज़ार तो होते हैं, पर भरोसेमंद और क़ायम की बुनियाद नहीं।
आज के डिजिटल ज़माने में, ऐसे मंच - चाहे वो सामाजिक हों या कोई डिजिटल प्लैटफ़ॉर्म - वो हमें आकार देते हैं की हम दूसरों को और खुदको किस नज़रिये से देखते है। सोशल मीडिया के बिना आज की दुनिया की कल्पना करना भी मुश्किल है। ये मंच आपको दूसरों के सामने खड़ा करते हैं, जहाँ आपको देखा और सुना जाता है और आपको प्रभाव डालने का मौका मिलता हैं। आज कल तो लोग इसी ‘मंच’ को एक इन्फ्लुएंसर के रूप में इस्तेमाल करके अपनी रोज़ी-रोटी कमा रहे हैं!
मंच, सुसमाचार को फ़ैलाने का एक शानदार ज़रिया है, जिससे हम दुनिया में उम्मीद, सच्ची मोहब्बत और ख़ुशी बाँट सकते है और हमें ऐसे मंचों की ज़रूरत है! हमारे ज़्यादातर प्रशंसक सोशल मीडिया के मंचों के ज़रिए ही हमसे जुड़े हैं। 🤗
लेकिन, उन गाँवों के अस्थायी मंचों की तरह ही, कुछ मंच कमज़ोर और नाज़ुक होते हैं। जितनी जल्दी इन्हें बनाया जाता है, उतनी ही जल्दी ये गिर भी सकते हैं। ये स्थिर, मज़बूत और क़ायम की बुनियाद नहीं हैं।
बाइबल हमें इससे बेहतर कुछ प्रदान करती है: मंचों के पीछे भागने के बजाय, एक स्तंभ बनना।
“जो जय पाए मैं उसे अपने परमेश्वर के मंदिर का स्तंभ बनाऊँगा। वह फिर कभी वहाँ से बाहर न निकलेगा, और मैं उस पर अपने परमेश्वर का नाम और अपने परमेश्वर के नगर अर्थात् उस नए यरूशलेम का नाम जो मेरे परमेश्वर के स्वर्ग से उतरेगा, और अपना नया नाम लिखूँगा।” – प्रकाशितवाक्य ३:१२
दोस्त , आप के लिए एक स्तंभ क्या दर्शाता हैं? ताक़त? आधार? या और कुछ? इसकी एक सूची बनाएं, क्योंकि इस हफ्ते हम मिलकर यह समझेंगे कि मंच बनने के बजाय स्तंभ बनने की क्या अहमियत है।

