ख़ुदा पर वैसे ही निर्भर रहें, जैसे एक डाली दाखलता पर निर्भर रहती है

खुदपर निर्भर रहना और खुद पर भरोसा करते हुए अपने दोनों पैरों पर खड़े होना, क्या इस सोच से आपको दबाव महसूस होता है? आत्मनिर्भरता हमारे समाज में मशहुर है, लेकिन यह वह दिव्य योजना नहीं है जो ख़ुदा आपके लिए चाहते हैं।
यीशु मसीह यूहन्ना १५:५ - ६ में घोषित करता हैं: “मैं दाखलता हूँ : तुम डालियाँ हो। जो मुझ में बना रहता है और मैं उसमें, वह बहुत फल फलता है, क्योंकि मुझ से अलग होकर तुम कुछ भी नहीं कर सकते। यदि कोई मुझ में बना न रहे, तो वह डाली के समान फेंक दिया जाता, और सूख जाता है; और लोग उन्हें बटोरकर आग में झोंक देते हैं, और वे जल जाती हैं।”
पहली नजर में यह आयत समझने में मुश्किल लगती होगी, जिसमें डालियों को आग में फेंके जाने का चित्रण किया है। लेकिन यीशु मसीह का यह इरादा नहीं था कि वो अपने शिष्यों को डराएं, बल्कि उसने उनसे एक गहरा वादा किया कि वो उनकी देखभाल करेगा।
एक दाखलता डाली को सहारा और पोषण प्रदान करती है; डाली खुद से भोजन नहीं कर सकती और न ही बढ़ सकती है, यह पूरी तरह से दाखलता पर निर्भर रहती है। डाली को बस वही स्वीकार करना होता है जो दाखलता प्रदान करती है।
एक डाली को दाखलता से अलग करने के लिए काफ़ी ताक़त की ज़रूरत होती है, ख़ासकर जब वह डाली स्वस्थ हो। जब यीशु मसीह ने कहा 'मुझ में बने रहो', तो उसका मतलब था कि आप अपने आपको मुझसे अलग करने का चुनाव न करें।
दोस्त ख़ुदा चाहता हैं कि आप उस पर वैसे ही निर्भर रहें जैसे एक डाली दाखलता पर निर्भर रहती है। जब आप ख़ुदा से जुड़े रहने का चुनाव करते हैं तब वो आपका पोषण, देखभाल और साथ निभाने का वादा करता हैं।
आइए मैं आपके लिए दुआ करती हूँ: ख़ुदावंद, दोस्त आज आप पर निर्भर रहने का चुनाव करें। आपके उपस्थिति से पोषित, प्रेम किया हुआ, मजबूत महसूस करें और आपके क़रीब आए।
परिशिष्ट: अगर आप यूहन्ना १५ से वाकिफ़ हैं तो उस हिस्से के बारे में सोच रहे होंगे जहाँ पिता हर उस डाली को काट देता हैं जो फ़ल नहीं लाती। हम कल इस पर गौर करेंगे लेकिन मैं आपको यकींन से कह सकती हूँ कि उस आयत में भी ख़ुदा का एक ख़ूबसूरत वादा छिपा है ।😉

