बुद्धिमान की ज़ुबान शिफा लाती हैं

नये साल के संकल्पों पर आपकी क्या राय है? क्या आपने कभी १ जनवरी से बदलाव करने का संकल्प किया है? जैसे कुछ वजन कम करना, अच्छा भोजन खाना या कुछ नया सीखना?
नये साल के शुरुआत की प्रेरणा मुझे बेहद पसंद है लेकिन मैं हमेशा वो संकल्प लंबे समय तक कर नहीं पाती हूं 😏। फिर भी, मैं कोशिश ज़रूर करती हूं।
इस बार मैं आपके साथ, बाइबल पर आधारित, कुछ नये साल के संकल्पों का सुझाव देना चाहती हूँ - ।😃
आज हम सबसे मुश्किल संकल्प से शुरुआत करते है: अपनी ज़ुबान पर क़ाबू रखना। इसका मतलब है कि बोलने से पहले सोचें और अपने लफ्जों का ध्यान रखें।
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"टेढ़ी बात अपने मुँह से मत बोल और चालबाज़ी की बातें कहना तुझ से दूर रहे।" - नीतिवचन ४:२४
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"बिना सोचे-समझे बोलनेवाले की बातें तलवार के समान चुभती हैं, परंतु बुद्धिमान की बातें स्वस्थ करती हैं। सच्चाई सदा बनी रहेगी, परंतु झूठ पल भर का ही होता है।" - नीतिवचन १२:१८-१९
संघर्ष के दौरान यह सबसे ज़रूरी है:
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"कोमल उत्तर सुनने से गुस्सा ठण्डा हो जाता है, परन्तु कटुवचन से क्रोध भड़क उठता है। बुद्धिमान ज्ञान का ठीक बखान करते हैं, परन्तु मूर्खों के मुँह से मूढ़ता उबल आती है। शान्ति देनेवाली बात जीवन - वृक्ष है, परन्तु उलट फेर की बात से आत्मा दु:खित होती है।" - नीतिवचन १५:१-२,४
इसका मतलब गपशप से दूर रहना भी है:
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“जो बातों को इधर-उधर करता फिरता है वह भेद प्रकट करता है, परंतु विश्वासयोग्य मनुष्य बात को छिपाए रखता है।" - नीतिवचन ११:१३
"कुटिल मनुष्य झगड़ा उत्पन्न करता है, और कानाफूसी करनेवाला घनिष्ठ मित्रों में भी फूट डाल देता है।" - नीतिवचन १६:२८
आज के डिजिटल दौर में, अपनी ज़ुबान पर क़ाबू रखने का मतलब अपनी उंगलियों पर भी क़ाबू रखना है। सोशल मीडिया पर कुछ भी लिखतें या पोस्ट करते समय समझदारी से पोस्ट करना ज़रूरी है।
इंटरनेट की गुमनामी हमें भूलने पर मजबूर कर देती है कि हमारे अल्फ़ाज़ों में ताक़त है, यहां तक कि ऑनलाइन पर भी।
याद रखें, ‘जीभ के वश में मृत्यु और जीवन दोनों होते हैं ‘ (नीतिवचन १८:२१), इसलिए अपने अल्फ़ाज़ों का उपयोग सोच-समझकर करें!
“ए ख़ुदा, तेरा शुक्रिया कि तूने दोस्त को ज़ुबान पर क़ाबू पाने की ताक़त और समझदारी दी है! उसे हमेशा ज़िंदगी के अल्फ़ाज सुनाने में मदद कर। आमीन।”

